शहीद के स्मारक की बेकद्री,एक साल से अधूरा है निमार्ण कार्य

Edited By ,Updated: 28 Aug, 2015 01:15 AM

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सन 1965 के युद्ध में देश की सरहद में नापाक इरादों के साथ घुसने की हिमाकत करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों...

राई : सन 1965 के युद्ध में देश की सरहद में नापाक इरादों के साथ घुसने की हिमाकत करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देने व अपनी बहादुरी के लिए मरणोपरांत वीर चक्र प्राप्त करने वाले जठेड़ी निवासी मेजर सतप्रकाश को शहादत के 50 वर्षों के बाद भी प्रशासन की तरफ से बेकद्री का सामना करना पड़ रहा है।
 
आलम यह है कि 20वां मील चौक पर पिछले एक साल से शहीद वीर चक्र विजेता मेजर सतप्रकाश सिंह का स्मारक अधूरा पड़ा है। यही नहीं पूर्व स्मारक पर लगा उनके नाम का पत्थर भी गायब है और अब वहां विज्ञापनों के पोस्टर चिपके हैं। परिजन प्रशासन से कई बार स्मारक बनाने का काम पूरा करने व नाम का पत्थर लगाने की गुहार लगा चुके हैं।
 
गौरतलब है कि वर्ष 1965 में पाकिस्तान व भारत के बीच में भयंकर युद्ध हुआ था। जठेड़ी निवासी पंजाब प्रदेश के डायरैक्टर रहे दीपचंद वर्मा के बेटे मेजर सतप्रकाश वर्मा को जम्मू-कश्मीर की संजोई चौकी पर युद्ध करने की कमान सौंपी गई थी। 28 अगस्त को शुरू हुए युद्ध में गोरखा राइफिल कम्पनी की अगुवाई करते हुए मेजर सतप्रकाश वर्मा ने अभूतपूर्व साहस के साथ दुश्मन को जवाब दिया। युद्ध करते हुए 4 सितम्बर, 1965 को मेजर सतप्रकाश दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गए। सतप्रकाश की बहादुरी व नेतृत्व क्षमता के कारण उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। 
 
वहीं जिला प्रशासन ने भी जी.टी. रोड से जठेड़ी गांव तक जाने वाली सड़क को मेजर सतप्रकाश वर्मा का नाम दिया गया था। वहीं 20वां मील चौक पर एक स्मारक भी बनाया गया था परंतु कुछ सालों पहले नया स्मारक बनाने के लिए पुराने स्मारक को तोड़ दिया गया था परंतु एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद स्मारक का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है।
 
शहीद के भतीजे विकास ने जिला प्रशासन पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए बताया कि उनके ताऊ जी ने देश के लिए जान न्यौछावर कर दी परंतु जिला प्रशासन अब तक उनका स्मारक भी नहीं बनवा पाया है। यही नहीं पहले के स्मारक पर लगाया गया पत्थर भी सैनिक बोर्ड अब तक नहीं लगाकर गया है।
 
उन्होंने बताया कि प्रशासन की अनदेखी के चलते शहीद सत्यप्रकाश वर्मा के स्मारक पर पोस्टर चिपकाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ सालों पहले 5वीं कक्षा में शहादत व वीरता से संबंधित पाठ्यक्रम में एक अध्याय भी बच्चों को पढ़ाया जाता था परंतु अब वहां से भी उसे हटा दिया गया है। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की कि जल्द शहीद के स्मारक को पूरा करके उन्हें सम्मान दें।

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