Edited By ,Updated: 29 Aug, 2015 12:05 PM
‘ॐ नम: शिवाय’ महामंत्र भगवान शंकर की उस ऊर्जा को नमन करता है जहां शक्ति अपने सर्वोच्च रूप में आध्यात्मिक किरणों से भक्तों के मन-मस्तिष्क को संचालित करती है। इसीलिए
‘ॐ नम: शिवाय’ महामंत्र भगवान शंकर की उस ऊर्जा को नमन करता है जहां शक्ति अपने सर्वोच्च रूप में आध्यात्मिक किरणों से भक्तों के मन-मस्तिष्क को संचालित करती है। इसीलिए महादेव की साधना में मंत्र विशेष के जाप से उनकी कृपा शीघ्र प्राप्त होती है, जिससे साधक अपनी कामना की पूर्ति करके जीवन में सफलता और सुख-शांति पाता है। इन मंत्रों का प्रतिदिन, रुद्राक्ष की माला से जाप करने से सुख, अपार धन-संपदा, अखंड सौभाग्य और प्रसन्नता में वृद्धि होती है।
‘ॐ नम: शिवाय: प्रौं हृीं ठ: ऊर्ध्व भू फट् इं क्षं मं औं अं. नमो नीलकंठाय, ॐ
पार्वतीपतये नम: और ॐ ह्रीं ह्रौं नम: शिवाय’ जैसे मंत्रों का जप पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए।
जप से पूर्व शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित करना चाहिए। उनके ऊपर जलधारा अर्पित करनी चाहिए। इसी तरह ‘ॐ नमो भगवते दक्षिणामूत्र्तये मह्मं मेधा प्रयच्छ स्वाहा’ का जाप भी करें।