शेयरों ने गंवाई साल भर की कमाई

Edited By ,Updated: 31 Aug, 2015 10:32 AM

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बाजार में चौतरफा गिरावट बंबई स्टॉक एक्सचेंज के सैंसेक्स पर खासी भारी पड़ी है। बीएसई 500 में शामिल

मुंबईः बाजार में चौतरफा गिरावट बंबई स्टॉक एक्सचेंज के सैंसेक्स पर खासी भारी पड़ी है। बीएसई 500 में शामिल करीब एक-तिहाई कंपनियों के शेयरों (176 शेयर) में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में जितनी तेजी आई थी, पिछले कुछ महीनों में उन्होंने वह सब गंवा दी। उन शेयरों का भाव एक बार फिर मनमोहन सिंह के कार्यकाल के स्तर पर रह गया। इसके साथ ही करीब 10 फीसदी कंपनियों (498 में से 40) ने पिछले 15 माह में अपना करीब आधा बाजार मूल्य गंवा दिया। 

जिन कंपनियों पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है, उनमें बुनियादी ढांचा क्षेत्र, धातु, बिजली, चीनी, रियल एस्टेट और तेल एवं गैस कंपनियां शामिल हैं। दिलचस्प है बुनियादी ढांचा एवं पूंजीगत वस्तु क्षेत्र की कंपनियों को मोदी सरकार बनने के बाद सबसे अधिक फायदा होने की उम्मीद जताई जा रही थी क्योंकि सरकार ने बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर खर्च काफी बढ़ाया है। 

मोदी ने 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी और बेंचमार्क सूचकांक (सैंसेक्स, निफ्टी) अब भी उस दिन के स्तर से ऊपर बना हुआ है। उदाहरण के तौर पर 15 माह में सैंसेक्स 6.8 फीसदी और निफ्टी 9.7 फीसदी ऊपर पहुंच गया है। बीएसई 500 की बात करें तो बड़े शेयरों की तुलना में मिडकैप और स्मॉल कैप शेयरों के अच्छे प्रदर्शन की बदौलत यह भी 13.2 फीसदी ऊपर बना हुआ है।

उदाहरण के तौर पर भूषण स्टील 26 मई, 2014 के बंद भाव से अभी 87.5 फीसदी नीचे है। इसी तरह इन्फ्रा और सीमेंट कंपनी जेपी एसोसिएट्स का शेयर पिछले 15 माह के बंद स्तर से 87 फीसदी टूटकर अब तक सबसे निचले स्तर पर आ गया है। उसका भाव अभी 9.73 रुपये है, जबकि पिछले साल 26 मई को यह 75.5 रुपये पर था। जिन अन्य शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट आई, उनमें यूनिटेक (79 फीसदी), जिंदल स्टील ऐंड पावर (77 फीसदी), एमटेक ऑटो (73 फीसदी), रेणुका शुगर्स (70 फीसदी), आईवीआरसीएल (68 फीसदी), वेदांत (66 फीसदी), जीएमआर इन्फ्रा (65 फीसदी), अदाणी पावर (63 फीसदी), रिलायंस पावर (61 फीसदी), हिंडाल्को (45 फीसदी), टाटा पावर (40 फीसदी), ओएनजीसी (40 फीसदी), रिलायंस इंडस्ट्रीज (21 फीसदी) और कोल इंडिया (11 फीसदी) आदि शामिल हैं।

हालांकि पिछले कुछ हफ्तों से बिकवाली के दबाव के बावजूद आईटी, फार्मा, वाहन और एफएमसीजी एवं कंज्यूमर ड्यूरेबल्स क्षेत्र की कंपनियां फायदे में हैं। उदाहरण के तौर पर हिताची होम 52 हफ्तों के उच्च स्तर से 21 फीसदी नीचे आ गई है, लेकिन 26 मई 2014 के मुकाबले 526 फीसदी ऊपर कारोबार कर रहा है। इसी तरह पिछले कुछ हफ्तों में 13.5 फीसदी गिरने के बाद भी ब्रिटानिया 242 फीसदी बढ़त पर है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 15 माह में उम्मीद से कम आर्थिक और कारोबारी विकास के साथ ही कई कंपनियों पर भारी कर्ज के कारण भी शेयरों में गिरावट आई है। इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐेंड एडवाइजरी के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी जी चोकालिंगम ने कहा, ''कई शेयरों में बुलबुला था, जिसके कारण उनके बाजार मूल्यांकन में काफी तेजी आई। लेकिन अब इसमें गिरावट आ रही है और वैश्विक वित्तीय माहौल उतार-चढ़ाव वाला बना रहा तो गिरावट कुछ समय तक जारी रह सकती है।''

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