किस उम्र में किस्मत चमकने से व्यक्ति बनता है धनवान

Edited By ,Updated: 01 Sep, 2015 03:59 PM

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किस्मत, नसीब, वैधिनी, भाग्य, तकदीर, लक और फॉर्च्यून ये कुछ ऐसे शब्द हैं जो हर व्यक्ति के जीवन पर अत्यधिक गहरा प्रभाव छोड़ते हैं। सफलता-असफलता, सुख-दुख, अमीरी-गरीबी, जीवन-मरण, लेन-देन आदि को किस्मत से जोड़कर देखा जाता है। हर व्यक्ति जानना चाहता है कि

किस्मत, नसीब, वैधिनी, भाग्य, तकदीर, लक और फॉर्च्यून ये कुछ ऐसे शब्द हैं जो हर व्यक्ति के जीवन पर अत्यधिक गहरा प्रभाव छोड़ते हैं। सफलता-असफलता, सुख-दुख, अमीरी-गरीबी, जीवन-मरण, लेन-देन आदि को किस्मत से जोड़कर देखा जाता है। हर व्यक्ति जानना चाहता है कि उसकी किस्मत कब चमकेगी ? आखिर कब होगा वो मालामाल? कब उसकी किस्मत उसके द्वार लक्ष्मी को ले आएगी ? हर व्यक्ति यह जानना चाहता है कि उसका अच्छा समय कब आएगा ? कब उसके पास बहुत सारा पैसा होगा ? भले ही हमारा समाज कितना भी आधुनिक हो गया हो पर फिर भी कहीं न कहीं लोग किस्मत पर अत्यधिक विश्वास करते हैं। इस लेख के माध्यम से हम आपको जन्मकुंडली के लग्न के अनुसार ये बताते हैं कि कब किस व्यक्ति के किस्मत के द्वार खुलेंगे और कब होगा व्यक्ति धनी और मालामाल, तो आइए जानें जन्म लग्न के अनुसार उम्र के किस पड़ाव में व्यक्ति का भाग्योदय होगा जिससे वो बनेगा मालामाल।

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प्राचीन भारतीय ज्योतिष के महान ग्रंथ भृगु संहिता के फलित का न तो कोई विकल्प है और न ही कोई चुनौती क्योंकि यह अद्वितीय आध्यात्मिक ज्ञान की पराकाष्ठा से प्रकट हुई प्रज्ञा का परिणाम है। ज्योतिषशास्त्र के प्रवर्तक प्रमुख रूप से 18 ऋषि माने जाते हैं। स्वयं ब्रह्माजी ने इस ज्योतिष का ज्ञान सूर्य को दिया था। सूर्य ने इसे विभिन्न युगों में भृगु आदि महर्षियों को दिया। भृगु ज्योतिष संहिता की रचना की ऋषि भृगु द्वारा की गई। भृगु संहिता संस्कृत भाषा में भोजपत्रों पर लिखी गई थी, जिसे दक्षिण भारतीय ज्योतिषियों ने ताड़ की पत्तियों पर सांकेतिक तमिल भाषा में अनुवादित किया गया। भृगु संहिता को तमिलनाडु में लोग भृगु नाड़ी के नाम से जानते हैं। भृगु संहिता के बिखरे पन्ने जन्मकुंडली के द्वादश भावों में स्थित नवग्रहों के फल कथन हेतु महर्षि भृगु ने भृगु सूत्रम् की रचना की। भृगु संहिता में कुंडली के जन्म लग्न अनुसार बताया गया है कि व्यक्ति का भाग्योदय कब होगा। कुंडली का प्रथम भाव जिस राशि का होता है, कुंडली उसी लग्न की मानी जाती है।
 
मेष: इस लग्न वाले व्यक्तियों की किस्मत के द्वार 16 वें, 22 वें, 28 वें, 32 वें, व 36 वें वर्ष की आयु में खुलते हैं।
 
वृष: इस लग्न वाले व्यक्तियों की किस्मत के द्वार 25 वें, 28 वें, 36 वें व 42 वें वर्ष की आयु में खुलते हैं।
 
मिथुन: इस लग्न वाले व्यक्तियों की किस्मत के द्वार 22 वें, 32 वें, 35 वें, 36 वें व 42 वें, वर्ष की आयु में खुलते हैं।
 
कर्क: इस लग्न वाले व्यक्तियों की किस्मत के द्वार 16 वें, 22 वें, 24 वें, 25 वें, 28 वें व 32 वें वर्ष की आयु में खुलते हैं।
 
सिंह: इस लग्न वाले व्यक्तियों की किस्मत के द्वार 16 वें, 22 वें, 24 वें, 26 वें, 28 वें व 32 वें वर्ष की आयु में खुलते हैं।
 
कन्या: इस लग्न वाले व्यक्तियों की किस्मत के द्वार 22 वें, 25 वें, 32 वें, 33 वें, 35 वें व 36 वर्ष की आयु में खुलते हैं।
 
तुला: इस लग्न वाले व्यक्तियों की किस्मत के द्वार 24 वें, 25 वें, 32 वें, 33 वें व 35 वर्ष की आयु में खुलते हैं। 
 
वृश्चिक: इस लग्न वाले व्यक्तियों की किस्मत के द्वार 22 वें, 24 वें, 28 वें व 32 वर्ष की आयु में खुलते हैं।
 
धनु: इस लग्न वाले व्यक्तियों की किस्मत के द्वार 16 वें, 22 वर्ष की आयु में या 32 वर्ष की आयु में खुलते हैं।
 
मकर: इस लग्न वाले व्यक्तियों की किस्मत के द्वार 25 वें, 33 वें, 35 वें व 36 वें वर्ष की आयु में खुलते हैं। 
 
कुंभ: इस लग्न वाले व्यक्तियों की किस्मत के द्वार 25 वें, 28 वें, 36 वें व 42 वें वर्ष की आयु में खुलते हैं।
 
मीन: इस लग्न वाले व्यक्तियों की किस्मत के द्वार 16 वें, 22 वें, 28 वें व 33 वें वर्ष की आयु में खुलते हैं।
 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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