रहस्य: तो इस कारण गणेश जी का पेट है इतना बड़ा

Edited By ,Updated: 01 Sep, 2015 04:50 PM

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श्री गणेश जी सर्वत्र मंगलमयता प्रदान करने वाले देव हैं। गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है। शास्त्रानुसार गणेश जी साक्षात परब्रह्म स्वरूप हैं तथा अनंत कोटि ब्रह्माण्डनायक जगन्नियंता ब्रह्म ही हैं। इनकी पूजा-अर्चना, उपासना से जीवन की सभी बाधाओं तथा...

श्री गणेश जी सर्वत्र मंगलमयता प्रदान करने वाले देव हैं। गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है। शास्त्रानुसार गणेश जी साक्षात परब्रह्म स्वरूप हैं तथा अनंत कोटि ब्रह्माण्डनायक जगन्नियंता ब्रह्म ही हैं। इनकी पूजा-अर्चना, उपासना से जीवन की सभी बाधाओं तथा मुश्किलें मूल सहित दूर होती हैं। श्री गणेश शक्ति व शिवतत्व का साकार स्वरूप हैं। श्री गणपत्यर्वशषि अनुसार प्रणव अर्थात ॐ का व्यक्त स्वरूप गणेश ही हैं। जिस प्रकार मंत्र के आरंभ में ॐ का उच्चारण होता है, उसी प्रकार प्रत्येक शुभ अवसर पर देवों में अग्र पूज्य गणपति की पूजा एवं स्मरण अनिवार्य है। भगवान श्री गणेश जी का व्यक्तित्व बेहद आकर्षक माना गया है। सभी गणों के स्वामी होने के कारण इनका नाम गणेश है। सनातन धर्म में हर शुभ कार्य का प्रारंभ गणेश पूजन से प्रारम्भ होता है क्योंकि गणेश जी विघ्नों व विपदाओं को हरण करने के कारण विघ्नहर्ता हैं। इस लेख के माध्यम से हम आपको बताते हैं गणेश जी के बड़े पेट का रहस्य जिसके कारण इनकी पूजा 33 कोटि देवी-देवताओं में सर्वप्रथम होती है।
गणेश जी का स्वरूप जीवन हेतु बहुत ही प्रेरणादायी है। गणेश जी को उनके विशेष शारीरिक डील-डौल हेतु लंबोदर कहा जाता है। लंबोदर का अर्थ है लंबे उदर वाला अर्थात बड़े पेट वाला। चीन के लाफिंग बुद्धा व यक्षराज धन कुबेर के अलावा श्री गणेश ही एक मात्रा देवता हैं जिनका पेट बड़ा है। गणेश का बड़ा पेट खुशहाली का प्रतीक है। गणेश जी के लंबे पेट से संबंधित अनेक मान्यताएं हैं। 
 
मान्यतानुसार भगवान शंकर ने गणेश को लंबोदर कहकर संबोधित किया जिसके प्रभाव से गणेश जी का पेट बढ़ गया। ब्रह्म पुराण अनुसार देवी पार्वती के लाडले गणेश जी को सदैव यह डर रहता था कि कहीं कर्तिकेय आकर माता का दुग्ध पान न कर लें अतः दिन भर माता के आंचल में छुपकर दूध पीते थे। इनकी इस आदत के कारण एक दिन महादेव ने व्यंग में इन्हे लंबोदर कह दिया जिसेक फलस्वरूप गणेश जी लंबोदर हो गए।
 
एक और मान्यतानुसार शंकर व पार्वती से मिले वेद ज्ञान व संगीत, नृत्य व कलाओं को सीखने व अपनाने से गणेश जी का उदर अनेक विद्याओं का भण्डार होने से लंबा हो गया।
 
संस्कारिक दृष्टि से जिस प्रकार उदर अर्थात पेट का कार्य पाचन द्वारा शरीर को स्वस्थ्य व ऊर्जावान बनाता है। उसी प्रकार गणेश जी का बड़ा पेट जीवन को सुखद बनाता है तो व्यावहारिक जीवन में उठते-बैठते जाने-अनजाने लोगों से मिले कटु-अप्रिय बातों व व्यवहार को सहजता से सहन करें अर्थात जीवन की बातों को पचाना सीखें। इसके विपरीत बुरी बातों व व्यवहार को याद रख घुटते रहना या प्रतिक्रिया में कटु बोल या व्यवहार हमारे लिए अधिक दु:ख व संकट का कारण बन सकता है। 
 
गणेश विघ्न नाशक हैं, अतः श्री गणेश उपासना में लंबोदर नाम का स्मरण कर जीवन को सहज किया जा सकता है। गणेश जी का लंबोदर स्वरूप संसार को यह ज्ञान देता हैं कि अपना पेट बड़ा रखो। पेट बड़ा होने से यह तात्पर्य नहीं है कि खूब सारा तेल घी खाकर अपना पेट बढ़ा लें। बड़ा पेट होने का तत्पर्य है हर चीज को पचाना सीखें। अपने आस-पड़ोस में जो भी बातें होती हैं उसे सुनकर अपने पेट में ही रखो। किसी की बातें इधर से उधर न करें। ऐसा करना सीखेंगे तो हमेशा खुशहाल रहेंगे।
 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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