नेपाल से भारत लाई गई महिला ने सुनाई अपनी दास्तां, जिसे सुन आंखों में भर आए आंसू

Edited By ,Updated: 03 Sep, 2015 09:02 PM

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बीस साल पहले महज 14 साल की उम्र में अच्छी नौकरी का लालच देकर मानव तस्कर उसे भारत ले आए और यहां जिस्म फरोशी के धंधे में धकेल दिया।

काठमांडू: बीस साल पहले महज 14 साल की उम्र में अच्छी नौकरी का लालच देकर मानव तस्कर उसे भारत ले आए और यहां जिस्म फरोशी के धंधे में धकेल दिया। सुनीता दुआवर जो कि नेपाल की रहने वाली हैं ,कई सालों तक लोगों की हवस का शिकार बनने के बाद भाग निकली और अब इस दलदल में फंसी दूसरी नेपाली लड़कियों को भी बचाने में लगी है। 

खबर के अनुसार सुनीता को अच्छा काम और पैसे का लालच देकर भारत लाया गया, लेकिन यहां उसे एक कमरे में बंद कर दिया गया जहां रोजाना उसे लोगों के सामने फेंक दिया जाता था। यहां तक की कई बार तो उसे नींद से उठाकर ग्राहकों के सामने परोसा जाता था। सुनीता के अनुसार उन पांच महीनों में मुझे हर रोज 30 लोगों के साथ सोना पड़ता था जबकि सरकारी छुट्टी के दिन यह संख्या बढ़कर 50 हो जाती थी। कई बार तो जब मैं सोने की कोशिश करती तो मुझे जगा दिया जाता, क्योंकि ग्राहकों को उनकी भूख मिटानी होती थी। 
 
सुनीता ने आगे बताया कि मुझे बाहर भी नहीं जाने दिया जाता था। एक कमरा था जिसमें खिड़की की जगह दीवार में लोहे की सरियां लगी हुई थी। स्थानीय पुलिस वालों को भी रिश्वत देकर चुप करवा दिया जाता था। एक बौद्ध भिक्षु उसकी मदद के लिए आगे आए और बचा लिया। इसके बाद वो उसे नेपाल वापस लेकर आए।
 
अब 36 वर्ष की हो चुकी सुनीता पूरी मेहनत से उन लड़कियों को बचाने में लगी है जो इन मानव तस्करों के निशाने पर होती हैं। सुनीता एक चैरिटी ग्रुप भी चलाती है जिसका नाम शक्ति समूह रखा है। इसमें ज्यादातर वो महिलाएं काम करती हैं जो कि वैश्यालयों से बचाई गई हैं। 
 
ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स के अनुसार दुनिया में वर्तमान में 2 लाख 28 हजार से ज्यादा नेपाली गुलामों के रूप में रह रहे हैं। वहीं यूनिसेफ की 2013 की रिपोर्ट के अनुसार हर साल 7 हजार महिलाएं और बच्चों को नेपाल से भारत वैश्यालयों में काम करने के लिए लाया जाता है। ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार लगभग 2 लाख नेपाली वैश्यालयों में काम कर रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार नेपाल मानव तस्करों की पसंद की जगह है। सुनीता के ग्रुप ने अब तक 21 लड़कियों को बचाया है जिनकी उम्र 16-19 साल के बीच है।

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