Teacher's Day: पीएम मोदी ने कहा- मां जन्म देती है, गुरु जीवन

Edited By ,Updated: 04 Sep, 2015 02:54 PM

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में बच्चों से खास बातचीत में कहा कि शिक्षक की पहचान विद्यार्थी होते हैं।

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर आज देशभर के बच्चों को संबोधित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन की स्मृति में दो स्मारक सिक्के जारी किए। मोदी ने 125 रुपए तथा दस रुपए का विशेष सिक्का जारी कर शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. राधाकृष्ण के असाधारण योगदान को याद किया। इस पर आयोजित समारोह में मोदी के साथ मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी, राज्य मंत्री रामशंकर कठेरिया, उपेंद्र कुशवाहा और वित्त राज्यमंंत्री जयंत सिन्हा मौजूद थे। 

पीएम मोदी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षक कभी उम्र से बंधा नहीं होता, वह कभी रिटायर नहीं होता है। हर व्‍यक्ति के जीवन को बनाने में मां और शिक्षक का अहम योगदान होता है। मां जन्‍म देती है, गुरु जीवन देता है। टीचर द्वारा कही गई बातें हमारे जीवन का हिस्‍सा बन जाती हैं। विद्यार्थी के जीवन में शिक्षक और शिक्षक के जीवन में विद्यार्थी का काफी महत्‍व होता है। 

बच्‍चों को बहुत प्‍यार करते थे कलाम 
वहीं उन्होंने कहा, डॉ. अब्‍दुल कलाम को हम सभी ने देखा, वह बच्‍चों को बहुत प्‍यार करते थे। उनसे जब पूछा गया कि आपको लोग कैसे याद रखें, तो उन्‍होंने कहा था कि लोग मुझे टीचर के तौर पर याद रखें। ये उनके केवल शब्‍द नहीं थे। राष्‍ट्रपति पद से मुक्‍त होने के बाद वे बच्‍चों को पढ़ाने लगे। जीवन के अंतिम काल में भी उन्‍होंने विद्यार्थियों के साथ बातचीत की। वे जीवन में कभी भी विद्या के मार्ग से अलग नहीं हो पाए।  विद्यार्थी और शिक्षक के जीवन में अपनत्‍व का भाव हमें जीवन जीने की कला भी सिखाती है।

माता-पिता बच्चों पर अपनी इच्छाएं न थोपें
पीएम मोदी ने कहा, विद्यार्थी और शिक्षक के जीवन में अपनत्‍व का भाव हमें जीवन जीने की कला भी सिखाती है। लेखक मित्र अपने शिक्षक के बारे में जरूर लिखें। सिर्फ बड़े-बड़े लोग अच्‍छे शिक्षक नहीं होते। टीचर भी एक-एक बालक के जीवन को संवारता है। शिक्षा अन्‍य व्‍यवसायों जैसा नहीं, बल्कि उससे भी प्‍लस वन है। हमारी कोशिश है कि टीचर्स डे जैसे प्रेरक पर्व को हमारी व्‍यवस्‍थाओं में प्राण कैसे लाए जाएं। इसके लिए हम कोशिश कर रहे हैं। वहीं उन्होंने परिजनों को अपनी करते कहा कि माता-पिता बच्चों पर अपनी इच्छाएं न थोपें, छोटे काम से भी बहुत बड़ा कर सकते हैं। 

मेरा कोई फैशन डिजाइनर नहीं
दिल्ली के एक छात्र दिव्यांश सिंह ने जब उनके कपड़ों के बारे में सवाल पूछा तो प्रधानमंत्री ने कहा, ‘बाजार में यह भ्रम है कि मोदी का कोई फैशन डिजाइनर है। कुछ लोग मेरा फैशन डिजाइनर होने का दावा भी करते हैं। लेकिन न तो मेरा कोई फैशन डिजाइनर है और न ही मैं किसी फैशन डिजाइनर को जानता हूं।’ उन्होंने कहा कि वह कम उम्र में ही घर से निकल गए थे और करीब 35-40 साल तक घूमते रहे। उनके पास एक छोटा सा बैग हुआ करते थे जिसमें एकाध जोड़ी कुर्ता पाजामा और कुछ किताबें हुआ करती थीं। बचपन में वह लोटे में कोयला रखकर अपने कपड़ों को प्रेस करते थे। एक बार किसी रिश्तेदार ने उन्हें कैनवास के जूते भेंट किए, तो उन्हें चमकाने के लिए वह स्कूल से चॉक के टुकड़े लाते थे।

‘साडी का रुमाल’ बनाकर बच्चों को स्वच्छ रहना सिखाया
पीएम मोदी ने कहा कि किसी गांव की गरीब महिला बच्चों को आंगनबाडी केंद्र में पढाती थी। उसने देखा कि बच्चे गंदे रहते थे और उन्हें साफ रखने के लिए रुमाल की जरूरत थी। फिर उसने अपनी पुरानी साडी बेचकर बर्तन खरीदने की बजाए उसके छोटे छोटे टुकड़ेे कर बाजार से कुछ सेफ्टी पिन खरीदे। उन टुकडों को वह सुबह आंगनबाडी केंद्र पहुंचने वाले बच्चों की कमीज पर पिन से लगा देती और शाम को उसे निकाल लेती। अगले दिन फिर धोकर बच्चों की कमीज पर लगा देती। इसका परिणाम यह हुआ कि बच्चे साफ रहने लगे और सफाई के लिए रुमाल का इस्तेमाल करने लगे।

देश को ‘रोबोट’ नहीं संवेदनशील पीढी की जरूरत
पीएम मोदी ने कहा कि हर बच्चे में प्रतिभा होती है लेकिन उसे निखारने के लिए अवसर उपलब्ध कराने की जरूरत होती है। शिक्षकों का अह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि वे देश को पढे लिखे और प्रतिभाशाली ‘रोबोट’ नहीं चाहिए बल्कि वे ऐसी संपन्न प्रतिभाएं दें जिनमें संस्कार हों और संवेदनशीलता कूट कूट कर भरी हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवन में कला जरूरी है, बिना कला का जीवन ‘रोबोट’ होता है। कला उत्सव के जरिए सामाजिक दायित्व का माहौल बनेगा। कला उत्सव सभी स्कूलों को मनाना चाहिए और एक परिपूर्ण नागरिक देश को देने में अपनी भागीदारी निभानी होगी। 

राजनीति में सभी क्षेत्रों के अच्छे लोगों की जरूरत
मणिपुर के सेनापति जिले के केंद्रीय विद्यालय की एक छात्रा ने पीएम से पूछा कि नेता बनने के लिए उसे क्या करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि नेतृत्व क्षमता को विकसित किया जा सकता है लेकिन यह आपको तय करना है कि चुनाव लडऩे और कुर्सी पाने के लिए नेता बनना है या फिर अपने लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए। नेता बनने के लिए आपको जनता के सुखदुख में साथ देना होगा। अगर आपके अंदर यह भाव है तो देश आपको खुद ही नेता बना देगा। देश में राजनीतिक जीवन की काफी बदनामी हो चुकी है। लोग इसमें नहीं आना चाहते हैं। इसके कारण देश का नुकसान हो रहा है।

अच्छा श्रोता ही अच्छा वक्ता होता है 
प्रधानमंत्री मोदी से दिल्ली के पुष्पविहार स्थित केंद्रीय विद्यालय की छात्रा श्रेयासिंह ने सवाल किया कि वह अच्छे वक्ता कैसे बने तो मोदी ने कहा कि ‘एक अच्छा वक्ता बनने के लिए पहले अच्छा स्रोता होना जरूरी है।’ वक्ता को किसी की परवाह नहीं करनी है कि कोई क्या कहेगा। कोई उसकी बात पर हंसेगा तो नहीं। हंसेंगे तो हंसने दीजिए लेकिन अपनी बात आत्मविश्वास के साथ कह दीजिए। अच्छे वक्ता के लिए नोट रखना जरूरी है, ताकि वह प्रभावी बात को पहले और उचित समय पर रख सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा ‘गूगल गुरु आजकल अच्छा जरिया बन गया है। उसमें पब्लिक स्पीच कोर्स है। उसमें दुनियाभर के गणमान्य लोगों के भाषण हैं और उनके भाषणों को सुनकर भाषण कला में स्वयं को पारंगत किया जा सकता है। 
 

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