Edited By ,Updated: 29 Nov, 2015 02:49 PM
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम उच्चतम न्यायालय के उस फैसले के बाद इस्तीफा देना चाहते थे जिस में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सदन में बहुमत साबित करने की अनुमति दिए बिना ही बिहार विधानसभा को भंग करने की राष्ट्रपति के...
भुवनेश्वर: पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम उच्चतम न्यायालय के उस फैसले के बाद इस्तीफा देना चाहते थे जिस में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सदन में बहुमत साबित करने की अनुमति दिए बिना ही बिहार विधानसभा को भंग करने की राष्ट्रपति के प्रस्ताव को न्यायालय ने खारिज कर दिया गया था।
कलाम के प्रैस सचिव रहे एस.एम. खान ने आज यहां ये दावा किया कि बिहार के तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह ने 2006 में विधान सभा भंग करने की सिफारिश की थी जिसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसे मंजूरी देने के बाद उस समय मास्को के दौरे पर गए राष्ट्रपति के पास उसकी मंजूरी के लिए भेज दिया।
खान ने कहा कि कलाम उसे खारिज करना चाहते थे लेकिन उनके पास विधानसभा भंग करने की सिफारिश दूसरी बार आयी थी इसलिए उस पर हस्ताक्षर करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। न्यायालय ने जब राष्ट्रपति के प्रस्ताव को खारिज कर दिया, तब कलाम ने पश्चाताप करते हुए कहा कि उन्हें कैबिनेट के फैसले को खारिज कर अपने पद से इस्तीफा दे देने चाहिए था।
खान ने कहा कि इस मुद्दे पर उन्होंने अपने बड़े भाई से सलाह ली और फिर अपने इस्तीफ देने के अपने फैसले को इसलिए बदला क्योकि इससे कई संवैधानिक समस्याएं उत्तपन्न हो जाती। खान आरएनआई के वर्तमान महानिदेशक है और यहां एसओए विश्वविद्यालय में ‘‘माय डेज विद द ग्रेटेस्ट ह्यूमन सोल इवर’’ (सबसे बड़ी मानव आत्मा के साथ मेरे दिन) शीर्षक पर हुए व्याख्यान में हिस्सा लेने पहुंचे थे जहां उन्होंने राष्ट्रपति के साथ बिताये अपने दिनों को याद किया।