डी.सी. व फाइनांस एंड अकाऊंट कंट्रोलर को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

Edited By ,Updated: 01 Dec, 2015 02:05 AM

dc and finance and the high court imposed a reprimand account controller

पूर्व जज जी.आर. मजीठिया के बेटे संजय मजीठिया की प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने की एवज में लगाई डेढ़ करोड़ स्टाम्प ड्यूटी मामले में हाईकोर्ट ने डी.सी. और फाइनैंस एंड अकाऊंट कंट्रोलर को कड़ी फटकार लगाई है।

 चंडीगढ़, (विवेक): पूर्व जज जी.आर. मजीठिया के बेटे संजय मजीठिया की प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने की एवज में लगाई डेढ़ करोड़ स्टाम्प ड्यूटी मामले में हाईकोर्ट ने डी.सी. और फाइनैंस एंड अकाऊंट कंट्रोलर को कड़ी फटकार लगाई है। आदेश के बाद डी.सी. व फाइनैंस एंड अकाऊंट कंट्रोलर कोर्ट में पहुंचे थे। हाईकोर्ट ने दोनों को लताड़ा और कहा कि अगली सुनवाई पर एस्टेट ऑफिस हलफनामा दाखिल कर बताएं कि आखिर किस आधार पर स्टाम्प ड्यूटी की गणना की थी।

सोमवार को डी.सी. और फाइनैंस एंड अकाऊंट कंट्रोलर से हाईकोर्ट ने पूछा कि आखिर संजय मजीठिया की प्रॉपर्टी उनके नाम ट्रांसफर करने के लिए डेढ़ करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी किस आधार पर तय की गई। हाईकोर्ट ने कहा कि जब यह संपत्ति पैत्रिक है तो ऐसे में प्रॉपर्टी ट्रांसफर के लिए स्टाम्प ड्यूटी कैसे ली जा सकती है।

हाईकोर्ट ने कहा कि इससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते हैं। डी.सी. ने बताया कि उनकी ज्वाइनिंग कुछ दिन पहले हुई है। इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है। डी.सी. के जवाब पर हाईकोर्ट ने उन्हें अगली सुनवाई में हाजिर रहने से छूट दी। अकाऊंट एंड फाइनैंस कंट्रोलर को निर्देश दिए कि अगली सुनवाई के दौरान वे हलफनामा दाखिल कर बताएंगे कि क्यों इस प्रकार से स्टाम्प ड्यूटी लगाई गई है।  हाईकोर्ट ने कहा कि यदि एक पूर्व जज के बेटे से प्रॉपर्टी के ट्रांसफर में इतना कुछ किया जा रहा है तो आम आदमी का क्या हाल होगा।

अगली सुनवाई के दौरान फाइनैंस एंड अकाऊंट कंट्रोलर खुद हाजिर होकर हलफनामा दें कि उन्होंने इस दिशा में क्या कदम उठाए हैं। अब 18 जनवरी को सुनवाई होगी।

यह था मामला

संजय मजीठिया ने याचिका में कहा था कि प्रॉपर्टी को लेकर उनका विवाद चल रहा था, जिसमें 75 प्रतिशत हिस्से पर उनका मालिकाना हक था। हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि 75 प्रतिशत प्रॉपर्टी का म्यूटेशन कर उनके नाम कर दिया जाए। मैरिट के आधार पर कोर्ट ने 27 फरवरी 2015 को संजय के नाम पर कोठी का शेयर ट्रांसफर करने के आदेश दिए। कोर्ट के आदेश के बाद वे 100 प्रतिशत प्रॉपर्टी के मालिक हो गए थे। उन्होंने प्रशासन को सूचित किया और अपील की कि प्रॉपर्टी उनके नाम कर दी जाए। 8 माह बीत जाने के बावजूद उनके नाम कोठी नहीं हो पाई। अफसरों के इस रवैये के खिलाफ उन्होंने कोर्ट में अपील की। 31 अक्तूबर को जिला अदालत ने प्रशासन के अधिकारियों की गाडिय़ां अटैच करने के आदेश दे दिए थे। आदेशों के तहत फाइनांस सैक्रेटरी की गाड़ी उठा ली गई थी। हालांकि इसे बाद में रिलीज करने के आदेश जारी कर दिए गए थे।

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