Edited By ,Updated: 01 Dec, 2015 04:24 PM
वैदिक ज्योतिष के शास्त्रनुसार मालव्य योग को कुंडली में बनने वाले बहुत शुभ योगों में से एक माना जाता है तथा यह योग पंचमहापुरुष योग में से एक है।
वैदिक ज्योतिष के शास्त्रनुसार मालव्य योग को कुंडली में बनने वाले बहुत शुभ योगों में से एक माना जाता है तथा यह योग पंचमहापुरुष योग में से एक है। शास्त्रानुसार शुक्र यदि किसी कुंडली में लग्न या चंद्र से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में वृष, तुला या मीन राशि में स्थित हो तो ऐसी कुंडली में मालव्य योग बनता है जिसका शुभ प्रभाव जातक को साहस, शारीरिक बल, तर्क शक्ति व समयानुसार निर्णायक क्षमता प्रदान करता है।
माल्वय योग के शुभ प्रभाव में आने वाले जातक सुंदर तथा आकर्षक होते हैं व इनमें विपरीत लिंग के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की प्रबल क्षमता होती है जिसके चलते ऐसे पुरुष जातक स्त्रियों को तथा स्त्री जातक पुरुषों को बहुत पसंद आते हैं। जातक अपनी सुंदरता व कलात्मकता के चलते सिनेमा जगत, माडलिंग आदि क्षेत्रों में भी सफलता प्राप्त करते हैं। इस योग में जन्मी महिला बहुत सुंदर व आकर्षक होतीं हैं तथा ये किसी सौंदर्य प्रतियोगिता में जीत कर राष्ट्रीय अथवा अंतर राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर सकतीं हैं।
श्लोक: पुष्टाङगे धृतिमान्धनी सुतवधू भाग्यान्वितो वर्धनो। मालव्ये सुखभुवसुवाहनयशा विद्वान्प्रसन्नेद्रिय॥
ज्योतिषशास्त्र के ग्रंथ फलदीपिका के योगाध्याय अनुसार मालव्य योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति आकर्षक, कांतिमान, पुष्ट शरीर वाला, धैर्यवान, विद्वान, प्रसन्नचित्त रहने वाला, सदैव वृद्धि को प्राप्त करने वाला, विवेकशील बुद्धि का धनी होता है। उसको समस्त ऎश्वर्य, धन-संपत्ति, संतान सुख आदि सहज ही प्राप्त हो जाते हैं। वह सौभाग्यशाली होता है, उसे भौतिक सुख आसानी से प्राप्त हो जाते हैं। वाहनों का पर्याप्त सुख तथा उसकी कीर्ति और प्रसिद्धि सर्वत्र फैलती है। वह जन्मजात विद्वान होता है, सुबोध मति वाला और सुखों को आजीवन भोगने वाला होता है।
श्लोक: मालवो मालवाख्यं च देशं पाति ससिन्धुकम्। सुखं सप्तति वर्षान्तं भुक्त्वा याति सुरालयम्॥
बृहत् पाराशर होरा शास्त्र के अनुसार पंच महापुरूष योगाध्याय के अन्तर्गत यह श्लोक जन्मपत्रिका में स्थित मालव्य महापुरूष योग के गुणावगुणों की व्याख्या देता है। इस श्लोक के अनुसार मालव्य योग में जन्मा व्यक्ति आकर्षक होंठ वाला, चन्द्र के समान कांति वाला, गौरवर्ण, मध्यम कद, धवल एवं स्वच्छ दंतावलियुक्त, हस्तिगर्जनायुक्त, लंबी भुजाएं, दीर्घायु एवं भौतिक-सांसारिक सुखों को भोगते हुए जीवन व्यतीत करता है।
शुक्रदेव व्यक्ति को कवि, काव्य, गान, गीत-संगीत, अभिनय कला, ललित कला, रहस्य, गूढ़, कल्पनाप्रवणता, उच्चा कोटि का दर्शन, लेखन, अध्यापन, सभ्यता और सुसंस्कृति, नम्रता और मृदुभाषिता प्रदान करता है। अन्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि शुक्रदेव इन समस्त गुणों के महानायक हैं। जब शुक्रदेव किसी व्यक्ति की कुंडली में मालव्य योग का निर्माण करते हैं तो ऐसा व्यक्ति निश्चित रूप से ही इन कलाओं में से किसी कला विशेष का मर्मज्ञ, पंडित, निपुण होकर महान प्रतिष्ठा एवं यश अर्जित कर समाज में अपने लिए एक विशिष्ट स्थान बना लेता है और महापुरूषों की श्रेणी में गिना जाने लगता है। इस योग में उत्पन्न व्यक्ति में शुक्र के विषयों के प्रति एक महान आकर्षण रहता है और वह इन्हीं विषयों में से किसी एक में शुक्र का आशीर्वाद पाकर स्थापित हो जाता है। मालव्य योग में जन्मा व्यक्ति अति आधुनिक पद्धतियों का अनुसरण करते हुए संगीत, प्राचीन विद्याएं, प्रेम काव्य, प्रेम गीत, अभिनय आदि के क्षेत्रों में पारंगत होकर प्रसिद्ध हो जाता है।
मालव्य योग के निर्माण हेतु कुंडली में शुक्र शुभ हो क्योंकि कुंडली में शुक्र के अशुभ होने से विशेष घरों तथा राशियों में स्थित होने पर मालव्य योग नहीं बनेगा अपितु इस स्थिति में शुक्र कुंडली में किसी गंभीर दोष का निर्माण कर सकता हैं। यदि किसी कुंडली में अशुभ शुक्र यदि वृष, तुला अथवा मीन राशि में कुंडली के पहले घर में स्थित हो तो ऐसी कुंडली में माल्वय योग नहीं बनेगा अपितु इस कुंडली में अशुभ शुक्र दोष बन सकता है जिसके कारण जातक के चरित्र, व्यक्तित्व व व्यवसाय आदि पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इस दोष के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक भौतिक सुखों की चरम लालसा रखने वाले होते हैं व अपनी इन लालसाओं की पूर्ति के लिए ऐसे जातक किसी अवैध अथवा अनैतिक कार्य में सलंग्न हो जाते हैं। यह भी बहुत आवश्यक है की कुंडली में शुक्र को कौन से शुभ अथवा अशुभ ग्रह प्रभावित कर रहे हैं क्योंकि किसी कुंडली में शुभ शुक्र पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव शुक्र द्वारा बनाए जाने वाले मालव्य योग के शुभ फलों को कम कर देता है।
किसी कुंडली में शुभ शुक्र पर दो से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रबल प्रभाव कुंडली में बनने वाले मालव्य योग को प्रभावहीन बना देता है। इसके विपरीत किसी कुंडली में शुभ शुक्र पर शुभ ग्रहों का प्रभाव कुंडली में मालव्य योग के शुभ फलों को और भी बढ़ा देता है। कुंडली के पहले घर में बना माल्वय योग जातक को सौंदर्य, व्यवसायिक सफलता का फल प्रदान करता है। कुंडली के चौथे घर में बना माल्वय योग जातक को संपत्ति, ऐश्वर्य, वैवाहिक सुख, वाहन तथा विदेशों में भ्रमण करने जैसे शुभ फल प्रदान करता है। सातवें घर का माल्वय योग जातक को एक सुंदर व निष्ठावान जीवनसाथी प्रदान करता है तथा ऐसे जातक व्यवसाय के माध्यम, सिनेमा, फैशन या सौंदर्य प्रतियोगिताओं के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त करते हैं। दसवें घर का माल्वय योग जातक को उसके व्यवसायिक क्षेत्र में बहुत अच्छे परिणाम देता है। व इस योग के प्रभाव में आने वाले जातक व्यापार, सिनेमा, होटल, एयरलांइस आदि जैसे व्यवसायों के माध्यम से बहुत धन अर्जित करता है।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com