शेयर बाजार में 6 वर्ष की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट

Edited By ,Updated: 12 Feb, 2016 11:04 PM

biggest weekly fall in market share of 6

भले ही शेयर बाजार का सैंसेक्स सप्ताह के आखिरी दिन 34.29 अंक की मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ लेकिन पूरे सप्ताह की यदि बात करें तो यह 6 वर्ष की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट रही।

मुम्बई: भले ही शेयर बाजार का सैंसेक्स सप्ताह के आखिरी दिन 34.29 अंक की मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ लेकिन पूरे सप्ताह की यदि बात करें तो यह 6 वर्ष की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट रही। वैश्विक नरमी की आशंका और प्रमुख कम्पनियों विशेषकर बैंकों के मिले-जुले तिमाही नतीजों ने बाजार को हिलाकर रख दिया।

बम्बई शेयर बाजार का सैंसेक्स और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एन.एस.ई.) का निफ्टी दोनों ही जुलाई, 2009 के बाद सबसे तेज साप्ताहिक गिरावट के साथ बंद हुए। जहां सैंसेक्स 1,630.85 अंक टूटा, वहीं निफ्टी में 508.15 अंक की गिरावट दर्ज की गई।

 
 
बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बी.एस.ई.) का सूचकांक सैंसेक्स बढ़त के साथ खुला और 23,000 का मनोवैज्ञानिक स्तर हासिल करते हुए दिन के उच्च स्तर 23,161 अंक पर पहुंच गया। हालांकि मुनाफा वसूली से यह दिन के निचले स्तर 22,600.39 अंक पर आ गया। 
 
कारोबार के अंत में थोड़ा लिवाली समर्थन मिलने से यह 34.29 अंक ऊपर 22,986.12 अंक पर बंद हुआ। एन.एस.ई. के निफ्टी ने भी उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में 7,000 का मनोवैज्ञानिक स्तर छुआ लेकिन अंतत: 4.60 अंक की मामूली बढ़त के साथ 6,980.95 अंक पर बंद हुआ।
 
विदेशी बाजारों में जापान का निक्की 4.84  प्रतिशत गिरकर 16 महीने के निचले स्तर पर आ गया। इस सप्ताह यह 11.1 प्रतिशत कमजोर हुआ है जो करीब साढ़े 7 वर्ष  की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट है। दक्षिण कोरिया का कोस्पी भी 1.41 प्रतिशत टूटकर साढ़े 5 महीने के निचले स्तर पर रहा। हांगकांग का हैंगसैंग भी 0.82 प्रतिशत कमजोर होकर साल साल के निचले स्तर तक आ गया। चीन का शंघाई कंपोजिट आज भी बंद रहा। 
 
शेयर बाजार में हाल ही में आई तेज गिरावट वैश्विक कारकों से है, ‘ज्यादा परेशान होने’ की जरूरत नहीं है और निवेशकों को निवेश करते समय अर्थव्यवस्था में निहित ताकत को ध्यान में रखना चाहिए। वे देश की अर्थव्यवस्था की ताकत पर भरोसा करें। वैश्विक नरमी जरूर है पर सरकार आॢथक वृद्धि में सहायक नीतियां जारी रखेगी। 
निवेशकों के लिए वैश्विक घटनाओं को लेकर बहुत ज्यादा प्रतिक्रिया दिखाना ठीक नहीं होगा। इतना ही नहीं, सरकारी बैंकों को अधिकार सम्पन्न बनाने के लिए और कदम उठाए जा रहे हैं ताकि वे अपने फंसे कर्ज की वसूली कर सकें। सार्वजनिक बैंकों का सकल एन.पी.ए. गत सितम्बर में बढ़कर 3.01 लाख करोड़ रुपए हो गया जो कि मार्च में 2.67 लाख करोड़ रुपए था। इस समस्या पर जल्द काबू पा लिया जाएगा।  -अरुण जेतली (केंद्रीय वित्त मंत्री) 

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