वायु प्रदूषण और भीड़ घटाने के लिए दिल्ली सरकार की ‘ऑड-ईवन’ योजना

Edited By ,Updated: 03 May, 2016 01:50 AM

odd even plan

इन दिनों विश्व भर में प्रदूषण चिंता का विषय बना हुआ है जिससे सभी देश अपने-अपने तरीके से निपट रहे हैं। इसी उद्देश्य से दिल्ली सरकार ने इस वर्ष 1 से 15 जनवरी तक ‘ऑड ...

इन दिनों विश्व भर में प्रदूषण चिंता का विषय बना हुआ है जिससे सभी देश अपने-अपने तरीके से निपट रहे हैं। इसी उद्देश्य से दिल्ली सरकार ने इस वर्ष 1 से 15 जनवरी तक ‘ऑड ईवन-1’ रजिस्ट्रेशन नम्बरों वाले वाहन बारी-बारी से चलाने का नियम लागू किया।

 
इससे वहां प्रदूषण व सड़कों पर वाहनों में लगभग 10 प्रतिशत कमी आई और इससे उत्साहित होकर दिल्ली सरकार ने 15 से 30 अप्रैल तक एक बार फिर ‘ऑड-ईवन-2’ नियम लागू किया।
 
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऑड-ईवन-2 की सफलता के लिए दिल्ली वासियों को बधाई दी व कहा है कि ‘‘पहले दो संस्करणों के नतीजों के विशेषण के लिए गठित 6 सदस्यीय दहिया समिति की 10 मई को रिपोर्ट आने के बाद ही इसके तीसरे संस्करण बारे निर्णय लिया जाएगा।’’ 
 
इस बीच सुप्रीमकोर्ट द्वारा दिल्ली में डीजल टैक्सियों का इस्तेमाल रोक दिए जाने के कारण टैक्सी चालकों में अपनी कारों में सी.एन.जी. किट फिट करवाने का सिलसिला भी जोर पकड़ गया है। 
 
हालांकि दिल्ली सरकार ने सड़कों पर वाहनों की संख्या कम करके प्रदूषण घटाने के लिए यह नियम लागू किया था पर पिछली बार की तुलना में इस बार सड़कों पर वाहनों में मात्र 5 प्रतिशत ही कमी आई क्योंकि लोगों ने बचने के लिए पुरानी गाडिय़ां खरीद लीं जो ज्यादा धुआं छोड़ती हैं। अलबत्ता इस दौरान हाईब्रिड कारों तथा सी.एन.जी. पर चलने वाली कारों की बिक्री में भी लगभग 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
 
जहां योग गुरु रामदेव ने इसे सराहा है वहीं भाजपा ने इसे पूर्णत: फ्लाप बताते हुए कहा है कि इस अवधि में प्रदूषण घटने की बजाय और बढ़ गया है। इसी कारण अब इसका तीसरा संस्करण जुलाई में पूरी तैयारी से लागू किए जाने की संभावना है। सरकार ने इसके लिए दिल्ली में बसों के बेड़े में भी वर्तमान की तुलना में 1000 बसों की वृद्धि करने का वायदा किया है।
 
इसके साथ ही दिल्ली सरकार का यह भी कहना है कि इसे स्थायी बनाने  और सितम्बर से इसे हर महीने 2 सप्ताह के लिए अनिवार्य करने के बारे में भी सोचा जा रहा है। तब तक दिल्ली मैट्रो के फेज 3 के अंतर्गत बनाए जा रहे नए स्टेशन भी तैयार हो जाएंगे। 
 
सिंगापुर में सड़कों पर वाहनों की भीड़ घटाने हेतु विभिन्न इलाकों में दुकानों के खुलने व बंद होने का समय अलग-अलग रखा गया है तथा 1989 में मैक्सिको सिटी में सप्ताह का नाम ‘नो सर्कुलेटिंग डे’ रखा गया तथा उस दिन के लिए कारों के इस्तेमाल पर पूर्णत: प्रतिबंध  होता था।
 
इसी तरह कुछ देशों में बारी-बारी से ऑड-ईवन नंबर की गाडिय़ां चलाने का प्रयोग किया गया है। बीजिंग ओलिम्पिक के दौरान 2008 में प्रदूषण घटाने के लिए चीन की राजधानी में ‘ऑड-ईवन’ लागू किया गया था।
 
जैसे आस्ट्रेलिया के मेलबोर्न में वाहनों का प्रदूषण और भीड़ घटाने के लिए बस सेवा फ्री की गई है, वैसे ही दिल्ली में भी ऐसा करके देखा जा सकता है। इससे वाहनों को चलाने का खर्च सरकार पर तो पड़ेगा परंतु योजना लागू करने व इसके प्रचार पर होने वाले खर्च में उतनी ही बचत भी हो जाएगी। मैट्रो के फेरों तथा इसके डिब्बों की संख्या बढ़ाना भी अच्छा विकल्प हो सकता है। बसों की संख्या भी वर्तमान 4,000 से बढ़ाकर 10,000 करनी होगी।
 
पुराने ट्रकों, डीजल चालित वाहनों, प्रदूषण फैलाने वाली फैक्टरियों, अंधाधुंध निर्माण गतिविधियों से उडऩे वाली धूल पर अंकुश लगाने के उपाय करने तथा कूड़ा जलाने पर भी रोक लगाने की भी जरूरत है।
 
ऑड ईवन-2 में कुछ श्रेणियों के वाहनों को प्रतिबंधों से छूट दी गई थी तथा रविवार का दिन भी इससे मुक्त रखा गया था परंतु शनिवार तथा सरकारी छुट्टियों वाले दिनों में भी अधिकांश सरकारी दफ्तर व बड़े प्रतिष्ठïान बंद होते हैं अत: इन दिनों भी यदि यह प्रतिबंध हटा दिया जाए तो प्रदूषण नहीं बढ़ेगा व लोगों को आसानी होगी।
 
अत: अगली बार जब दिल्ली सरकार यह योजना लागू करे तो उसे फ्री बस सेवा शुरू करने, बसों के बेड़े में वृद्धि करने, अंधाधुंध निर्माण गतिविधियों से उडऩे वाली धूल पर अंकुश लगाने के उपाय तलाशने, कूड़ा जलाने पर रोक लगाने तथा रविवार के अलावा शनिवार तथा सरकारी छुट्टियों वाले दिनों में भी इस प्रतिबंध को हटाने आदि के बारे में भी सोचना चाहिए।
 

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