दो बुरी आदतों के कारण व्यक्ति इस लोक ही नहीं परलोक में भी भोगता है दुख

Edited By ,Updated: 05 May, 2016 01:11 PM

bad habits

मनुष्य को अपने धर्म और समाज की भाषा को हमेशा आदर देना चाहिए। असत्य और निंदा के समान कोई पाप नहीं हो सकता है। इसलिए जीवन

मनुष्य को अपने धर्म और समाज की भाषा को हमेशा आदर देना चाहिए। असत्य और निंदा के समान कोई पाप नहीं हो सकता है। इसलिए जीवन में कभी भी असत्य के सहारे नहीं चलना चाहिए। जहां वस्तु या विचार में जरूरत से अधिक बढ़ौतरी हो जाए वहां नियम लागू करना आवश्यक हो जाता है। जिस प्रकार हर रोज वस्त्र बदलते हैं ताकि शरीर और पहनावा दोनों स्वच्छ दिखें, वैसे ही विचारों में भी शुद्धता लाने का प्रयास करना चाहिए।
 
झूठ बोलना न केवल बुरी आदत है बल्कि पाप का भागी भी बनाता है। झूठ बोलने वाला चाहे स्वयं के हित को ध्यान में रखते हुए झूठ का सहारा लेता है लेकिन भविष्य में उसे दुःखों और परेशानियों से रूबरू होना पड़ता है। कभी भी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए।
 
गीता में कहा गया है कि उत्तम मनुष्य को बासी, दूषित और मन को विचलित करने वाले आहार से बचना चाहिए इसलिए पवित्र भोजन ग्रहण करें। शास्त्रों में किसी का जूठा खाने पर भी बड़ा प्रतिबंध है। जिसके कारण तन और मन पर बहुत सारे दुष्प्रभाव पड़ते हैं जैसे 
 
* सुखों में कमी आती है।
* घर-परिवार में कलह बढ़ती है।
* भोग-विलासिता में कमी आती है। 
* जिसका जूठा खाते हैं उसके अशुद्ध विचार मन में घर कर जाते हैं। 
* धन संचय नहीं हो पाता।
 

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