क्या आपकी कुण्डली में है शनि योग, गरीब परिवार में जन्म लेकर भी बनेंगे धनवान

Edited By ,Updated: 06 May, 2016 02:14 PM

astrology shani dev

जन्मकुंडली में नौवें व दसवें घर का बड़ा महत्त्व होता है। जन्म कुंडली में नौवां घर भाग्य व दसवां घर कर्म का स्थान होता है। कोई भी व्यक्ति इन दोनों घरों के कारण ही

जन्मकुंडली में नौवें व दसवें घर का बड़ा महत्त्व होता है। जन्म कुंडली में नौवां घर भाग्य व दसवां घर कर्म का स्थान होता है। कोई भी व्यक्ति इन दोनों घरों के कारण ही सर्वाधिक सुख-समृद्धि प्राप्त करता है। कर्म से ही भाग्य बनता है। भाग्य से व्यक्ति अच्छे कर्म करता है। अगर जन्मकुंडली के नौवें या दसवें घर में श्रेष्ठ ग्रह मौजूद हों तो व्यक्ति की कुंडली में राजयोग का निर्माण होता है। राजयोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्ति को राजा के समान सुख प्रदान करता है। इस योग में व्यक्ति सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने वाला होता है। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में राजयोग होता है, वे उच्च स्तरीय राजनेता, मंत्री, राजनीतिक दल प्रमुख तथा कला व व्यवसाय में ख्याति प्राप्त करते हैं। राजयोग का आंकलन करने हेतु कुंडली में लग्न को आधार माना जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में राजयोग रहता है उस व्यक्ति को हर प्रकार की सुख-सुविधा और लाभ भी प्राप्त होते हैं। 
 
शनि के विषय में आम धारणा है कि यह मात्र दुःख देते हैं परंतु सच्चाई ऐसी नहीं है, सच तो यह है कि शनि व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। जिनकी कुण्डली में शनि का शुभ योग मौजूद होता है वह बड़े ही मेहनती व्यक्ति होते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिनकी जन्मकुण्डली में शनि पहले, चौथे, सातवें या दसवें घर में अपनी राशि मकर या कुंभ में विराजमान होता है। उनकी कुण्डली में शश योग नामक पंच महापुरूष योग बनता है। यह एक प्रकार का राजयोग है। शनि अगर अपनी उच्च राशि तुला में बैठे हों तो भी यश योग जैसा शुभ फल देते है। 
मान्यतानुसार जिनकी कुण्डली में यह योग मौजूद होता है वह व्यक्ति गरीब परिवार में जन्म लेकर भी एक दिन धनवान बनता है। मेष, वृष, कर्क, सिंह, तुला वृश्चिक, मकर एवं कुंभ लग्न में जिनका जन्म होता है उनकी कुण्डली में इस योग के बनने की संभावना रहती है। आइए लग्न अनुसार जानते हैं की शनि किस लग्न को कर देते हैं मालामाल और किसे कर देते हैं कंगाल।
 
मेष: अगर इस लग्न में मंगल या शनि कुंडली के दसवें भाव में विराजमान होते हैं तो यह राजयोग बनता है।
 
वृष: अगर इस लग्न शुक्र या शनि नौवें या दसवें स्थान पर विराजमान होते हैं तो यह राजयोग का निर्माण कर देते हैं।
 
मिथुन: अगर इस लग्न में बुध या शनि कुंडली के नौवें या दसवें घर में एक साथ आ जाते हैं तो जातक राजाओं जैसा जीवन जीता है।
 
कर्क: अगर इस लग्न में चंद्रमा व बृहस्पति भाग्य या कर्म के स्थान पर मौजूद होते हैं तो यहां केंद्र-त्रिकोंण राजयोग बनता है।
 
सिंह: अगर इस लग्न सूर्य व मंगल दसमं या भाग्य स्थान में बैठते हैं तो जातक के जीवन में राजयोग का निर्माण होता है।

कन्या: अगर इस लग्न में बुध व शुक्र भाग्य स्थान या दसमं भाव में एक साथ आ जाते हैं तो जीवन राजाओं जैसा होता है।
 
तुला: अगर इस लग्न में शुक्र या बुध नौवें या दसवें स्थान पर एक साथ विराजमान होते हैं तो जातक को राजयोग का फल प्राप्त होता है।
 
वृश्चिक: अगर इस लग्न में सूर्य व मंगल, नौवें या दसवें भाव में एक साथ आते हैं तो जीवन राजाओं जैसा होता है।
 
धनु: अगर इस लग्न में बृहस्पति व सूर्य नौवें या दसवें घर में एक साथ बैठ जाएं तो यह राजयोग कारक बन जाता है।
 
मकर: अगर इस लग्न में शनि व बुध की युति, भाग्य या कर्म स्थान पर मौजूद होती है तो राजयोग बनता है।

कुंभ: अगर इस लग्न में शुक्र व शनि नौवें या दसवें स्थान पर एक साथ आते हैं तो जीवन राजाओं जैसा हो जाता है।
 
मीन: अगर इस लग्न में बृहस्पति व मंगल नवें या दसमं स्थान पर एक साथ विराजमान हो जाएं तो यह राजयोग बनता है।
 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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