चीन ने दिया भारत को झटका!

Edited By ,Updated: 24 May, 2016 08:06 PM

exception cannot be made for india in membership to nuclear suppliers club says china

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के दौरे से पहले ही चीन ने भारत को करार झटका दिया है।

बीजिंग: चीन ने भारत को करार झटका दिया है। चीन ने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत को शामिल किए जाने का विरोध करते हुए कहा है कि इस मामले में भारत को अपवाद मानते हुए सदस्य नहीं बनाया जा सकता। इसके साथ ही चीन सरकार ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न किए जाने वाले देशों का मुद्दा भी उठाते हुए कहा कि भारत, पाकिस्तान और इजरायल जैसे देशों को एक नजरिए से देखा जाना चाहिए।

सूत्रों के मुताबिक, मुद्दे को लेकर इस सप्ताह दोनों देशों के बीच बातचीत हो सकती है। हालांकि, जब चीन ने भारत पर ऐसा दबाव बनाने की कोशिश की तो भारतीय विदेश मंत्रालय ने फ्रांस का नाम सामने लाते हुए कहा था कि फ्रांस एनएसजी का सदस्य है और परमाणु हथियारों का व्यापार करता है, जबकि वह अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने वाला देश भी है। 

इस पर चीन ने भारत के रुख को खारिज करते हुए कहा कि फ्रांस एनएसजी का संस्थापक सदस्य है और ऐसे में उसकी सदस्यता को स्वीकार किए जाने का सवाल कहां पैदा होता है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीन का यही रुख है कि एनएसजी में शामिल होने वाले सभी नए सदस्यों को परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करना चाहिए। एनएसजी एनपीटी पर आधारित अप्रसार व्यवस्था का प्रमुख अंग है। इसको लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में दीर्घकालीन सहमति है और पिछले साल एनपीटी समीक्षा सम्मेलन में इसे दोहराया गया था। 

चीन पहुंचे प्रणब मुखर्जी, उठेगा मसूद अजहर का मुद्दा
प्रतिष्ठित परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता पर चीन का विरोध और जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी के तौर पर प्रतिबंधित करने के संयुक्त राष्ट्र के कदम को बाधित करने की चीन की कार्रवाई जैसे विषय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की गुरूवार को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग समेत वहां के शीर्ष नेतृत्व से बातचीत में आ सकते हैं।  मंगलवार दोपहर को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी चीन पहुंच गए। अपने लंबे राजनीतिक करियर में विभिन्न पदों पर रहते हुए चीन की कई यात्राएं कर चुके मुखर्जी की राष्ट्राध्यक्ष के तौर पर चीन की यह पहली यात्रा है। सूत्रों के अनुसार वह उक्त मुद्दों पर भारत की चिंता प्रकट कर सकते हैं और इन पर भारत के रख को पुरजोर तरीके से पेश कर सकते हैं।

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