300 हडि्डयां टूटने के बाद भी बना 'चैंपियन', जानें कैसे?(Pics)

Edited By ,Updated: 30 May, 2016 07:54 PM

moin junaidi is a teenager from karnataka who has brittle bone disease

मोईन जुनैदी की कहानी सुनकर आपकी आंखें भी नम हो जाएंगी। उसके हौसलों की कहानी ऐसी है जिसे पढ़कर जीवन के प्रति आप की सोच बदल जाएगी।

नई दिल्ली: मोईन जुनैदी की कहानी सुनकर आपकी आंखें भी नम हो जाएंगी। उसके हौसलों की कहानी ऐसी है जिसे पढ़कर जीवन के प्रति आप की सोच बदल जाएगी। मोईन ने भारत के लिए देश और विदेशों में ढेरों खिताब और मेडल जीते हैं, लेकिन उनका ये सफर आसान नहीं था। 

छूने से टूट जाती थीं हड्डियां 
दरअसल, मुश्ताक जुनैदी और कौसर बनो का बेटा मोईन हर बच्चे की तरह भाग्यशाली नहीं था। उसे जन्म से ही उसे ऐसी बीमारी थी जिसमें हडि्डयों में कैल्शियम शून्य से भी कम होता है। इस बीमारी का नाम है ओस्टीयो-जीनेसिस इम्पर्फेक्टा। इस बीमारी के चलते मोईन की हडि्डयां इतनी नर्म और कमजोर हो गई थीं कि हलके से छूने से भी टूट जाती थीं। मोईन ना खुद खड़े हो सकते हैं और ना ही किसी चीज को अपने हाथों से पकड़ सकते हैं। 9 महीनें की कम उम्र में उनकी हडि्डयां टूटना शुरू हो गईं और 2 साल के होते होते उनकी 50 से ज्यादा हडि्डयां टूट चुकी थीं।

मां ने घर ही पढऩा सिखाया
डॉक्टरों ने भी उनके इलाज में असमर्थता जता दी थी। देश-विदेश के डॉक्टरों से नाउम्मीदी होने के कारण उनके माता-पिता ने बेटे के ठीक होने की उम्मीद छोड़ दी थी। बीमारी के कारण मोईन स्कूल ना जा सका, तो मां ने उसे घर पर पढ़ाना शुरू किया। मोईन कलम नहीं उठा सकते थे पर पढ़ सकते थे। इसी बीच मोईन की मुलाकात एक एम.एल.ए से हुई और मोईन की हिम्मत और हौसले को देखकर उन्होंने मोईन को एक लैपटॉप भेंट किया, मोईन इसी लैपटॉप पर पढऩे और लिखने लगे।

कोच थे मार्गदर्शक और उम्मीद
फिर मोईन की मुलाकात उमेश कलघटगी से हुई, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी। उमेश बेलगाम सिटी कारपोरेशन पूल में तैराकी के कोच थे। उमेश ने ही मोईन की छिपी हुई प्रतिभा को पहचाना और उनको तैराकी के गुण सिखाने का प्रस्ताव रखा। शुरू में मोईन के माता-पिता इसके लिए राजी नहीं थे पर बाद में वो मान गए। मोईन ने विकलांगों की 1 अंतर्राष्ट्रीय और 5 राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और 10 स्वर्ण और 1 रजत पदक अपने नाम किया। मोईन ने अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों में पैरालिम्पिक खेलों में भारत का नेतृत्व भी किया है। विश्व विकलांग दिवस पर कर्नाटक सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया।

भारत के लिए स्वर्ण पदक 
मोईन क्रिकेट के बहुत बड़े प्रशंसक हैं, महेंद्र सिंह धोनी उनके सबसे पसंदीदा क्रिकेटर हैं और शाहरुख खान पसंदीदा अभिनेता। मोईन का नाम, इंडिया बुक ऑफ रिकाड्र्स में भी दर्ज है। अब मोईन का सपना ब्राजील में होने वाले 2016 के पैरालिम्पिक खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने का है। 

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