किताब का खुलासा: सोनिया गांधी की जासूसी करा रहे थे नरसिम्हा राव

Edited By ,Updated: 25 Jun, 2016 10:44 AM

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यह बात जग-जाहिर है कि सोनिया गांधी नरसिम्हा राव को बतौर प्रधानमंत्री पसंद नहीं करती थीं और न ही राव यह चाहते थे कि सोनिया गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष और देश का प्रधानमंत्री बनाया जाए।

नई दिल्ली: यह बात जग-जाहिर है कि सोनिया गांधी नरसिम्हा राव को बतौर प्रधानमंत्री पसंद नहीं करती थीं और न ही राव यह चाहते थे कि सोनिया गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष और देश का प्रधानमंत्री बनाया जाए। मई 1995 में तो राव और सोनिया के रिश्ते इतने बिगड़ गए थे कि प्रधानमंत्री राव ने इंटैलीजैंस ब्यूरो (आई.बी.) से एक सीधा सवाल ही पूछ लिया था कि उनके कैबीनेट के कितने मंत्री उनके (राव के) कट्टर समर्थक हैं और कितने 10 जनपथ के। इस खुलासे समेत अनेक खुलासे विनय सीतापति ने राव के व्यक्तिगत पत्रों के आधार पर एक किताब में किए हैं। किताब 27 जून को रिलीज की जाएगी। 

राव द्वारा स्थिति (बाबरी मस्जिद विध्वंस) से न निपट पाने पर अप्रसन्नता व्यक्त की थी। जिस तरह प्रधानमंत्री अपनी सरकार का इस्तेमाल सोनिया गांधी पर निगाह रखने के लिए कर रहे थे, उसी तरह सोनिया भी कांग्रेसियों का इस्तेमाल राव पर निगाह रखने के लिए कर रही थीं। अखबार के अनुसार सोनिया ने 1992 के बाद राव के विरोधियों एन.डी. तिवारी, नटवर सिंह आदि को पोषित करना शुरू कर दिया था। ये लोग आए दिन सोनिया से मिलते थे। किताब में राव के निजी पत्रों के साथ ही लगभग 100 लोगों के साथ उनके साक्षात्कार का ब्यौरा है। किताब में यह भी है कि सोनिया नहीं चाहती थीं कि राव का अंतिम संस्कार दिल्ली में हो।

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