ब्रह्मांड में सबसे ऊपर हैं शिव

Edited By ,Updated: 27 Jul, 2016 02:12 PM

lord shiv

महेश स्वरूप में आराध्य भगवान ‘शिव’ पृथ्वी से भी ऊपर कोमल कमल पुष्प पर बेलपत्र, त्रिपुंड, त्रिशूल, डमरू के साथ लिंग रूप में शोभायमान होते हैं।

महेश स्वरूप में आराध्य भगवान ‘शिव’ पृथ्वी से भी ऊपर कोमल कमल पुष्प पर बेलपत्र, त्रिपुंड, त्रिशूल, डमरू के साथ लिंग रूप में शोभायमान होते हैं। भगवान शिव के इस बोध चिह्न के प्रत्येक प्रतीक का अपना महत्व है।
 
 
 
पृथ्वी : पृथ्वी गोल परिधि में है परंतु भगवान महेश ऊपर हैं अर्थात पृथ्वी की परिधि भी जिन्हें नहीं बांध सकती वह एक लिंग भगवान महेश सम्पूर्ण ब्रह्मांड में सबसे ऊपर हैं।
 
त्रिपुंड : इसमें तीन आड़ी रेखाएं हैं जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड को समाए हुए हैं। एक खड़ी रेखा यानी भगवान शिव का ही तीसरा नेत्र जो कि दुष्टों के दमन के लिए खुलता है।
 
त्रिशूल : विविध पापों को नष्ट करने वाला एवं दुष्ट प्रवृत्ति का दमन कर सर्वत्र शांति की स्थापना करता है।
 
डमरू : स्वर, संगीत की शिक्षा देकर कहता है उठो, जागो और जनमानस को जागृत कर समाज व देश की समस्याओं को दूर करो, परिवर्तन का डंका बजाओ।
 
कमल : जिसमें नौ पंखुडिय़ां हैं। यह नौ दुर्गाओं का द्योतक है। कमल ही ऐसा पुष्प है जिसे भगवान विष्णु ने अपनी नाभि से अंकुरित कर ब्रह्मा जी की उत्पत्ति की।
 
ॐ : कमल की बीच की पंखुड़ी पर अंकित है ॐ। अखिल ब्रह्मांड का द्योतक, सभी मंगल मंत्रों का मूलाधार, परमात्मा के अनेक रूपों का समावेश किए सगुण-निर्गुणाकार एकाक्षर ब्रह्म आदि से सारे ग्रंथ भरे पड़े हैं।
 
बेलपत्र : त्रिदलीय बिल्व पत्र हमारे स्वास्थ्य का द्योतक है। भगवान महेश के चरणों में अर्पित है श्रद्धा युक्त बेलपत्र जो शिव को परमप्रिय है।
 
सेवा : समाज का बहुत बड़ा ऋण हमारे ऊपर रहता है। अत: यह नहीं सोचें कि समाज ने हमें क्या दिया वरन समाज को हम क्या दे रहे हैं।
 
त्याग : त्याग की महिमा से तो हिन्दुओं के ही नहीं संसार के समस्त धर्मों के शास्त्र भरे पड़े हैं।
 
सदाचार : मानव जीवन में सदाचार का बहुत ऊंचा स्थान है। जिस व्यक्ति में, परिवार में, समाज में चरित्रहीनता, व्यसनाधीनता आदि बड़े पैमाने पर व्याप्त हो तो उस समाज की उन्नति नहीं हो सकती।  

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