इम्युनिटी बूस्टर- च्वयनप्राश के साथ करें माॅनसून की शुरूआत

Edited By ,Updated: 27 Jul, 2016 03:10 PM

Monsoon chyavanaprash

भारत में माॅनसून का सबसे अधिक बेसब्री से इंतजार किया जाता है क्योंकि यह लोगों को चिलचिलाती गर्मियों से राहत देता है लेकिन यह अपने साथ

नई दिल्लीभारत में माॅनसून का सबसे अधिक बेसब्री से इंतजार किया जाता है क्योंकि यह लोगों को चिलचिलाती गर्मियों से राहत देता है लेकिन यह अपने साथ कई बीमारियों को भी लेकर आता है। यदि आपकी, खासतौर से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, तो ये बीमारियां जानलेवा भी साबित हो सकती हैं। तापमान में गिरावट और नमी के स्तर के बढ़ने से माॅनसून के दौरान संक्रमण की समस्या आम हो जाती है।

 

सर्दी और जुकाम, मलेरिया, डेंगू, टायफायड और निमोनिया जैसे रोग माॅनसून के मौसम में सबसे अधिक प्रचलित रहते हैं। गर्म, गीली और नमी से भरपूर जलवायु के कारण कई प्रकार के संक्रमण उत्पन्न हो सकते हैं और यदि आपके शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम है, तो इनका असर अधिक हो सकता है।

 

माॅनसून में कीटाणुओं से लड़ने के लिए दवा की सही खुराक के रूप में सदियों पुराने आयुर्वेदिक विज्ञान की मदद से औषधियों का सेवन किया जाता है। हालांकि, एलोपैथिक साइंस में रोगों का उपचार करने का समाधान मौजूद है लेकिन आयुर्वेद में बताई गईं प्राचीन भारतीय हर्ब्स और कम्पाउंड फाॅर्मूलेशन स्वस्थ एवं ऊर्जावान जीवनशैली जीने का रसायन तंत्र आयुर्वेद की 8 विशेषज्ञताओं में से एक है। इसका संबंध पुनर्जीवन प्रदान करने वाली व्यंजन विधियों, आहार परहेजों और सेहत को बेहतर बनाने वाले विशेष व्यवहारों से है। आप रोजाना महज 2 चम्मच च्वयनप्राश का सेवन कर अपने दैनिक आहार में रसायन तंत्र को शामिल कर सकते हैं।

 

च्वयनप्राश (सीपी) एक जाना-माना आयुर्वेदिक फाॅर्मूलेशन है। इसका इस्तेमाल दशकों से इम्युनिटी बढ़ाने और संक्रमण से प्रतिरोधक क्षमता उपलब्ध कराने के लिए किया जाता रहा है। डाबर च्वयनप्राश प्राचीन फाॅर्मूलेशन पर आधारित है। यह एक आयुर्वेदिक सप्लीमेंट है, जिसमें विभिन्न प्रकार के हब्र्स और मिनरल्स मौजूद हैं। डाबर च्वयनप्राश अपने इम्युनोमाॅडुलेटरी प्रभावों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाव करने में मदद करता है। 

 

डाबर द्वारा विभिन्न प्रकार के क्लिनिकल और प्रीक्लिनीकल अध्ययन किए गए है, जो इम्युनिटी, मौसम के प्रभावों, नेजल एलर्जी और संक्रमणों इत्यादि पर च्वयनप्राश के प्रभावों की पुष्टि करते हैं। च्वयनप्राश 3 विकारों ‘वात, पित्त और कफ‘ को संतुलित रखने में मदद करता है, जिसका उल्लेख प्राचीन आयुर्वेदिक शास्त्रों में किया गया है। डाबर च्वयनप्राश से डेंटिंक कोशिकाओं, एनके सेल्स और मैक्रोफेजेस को सक्रिय बनाने में मदद मिलती है। इस प्रकार यह कीटाणुओं से लड़ने में मदद करता है।

 

डाबर च्वयनप्राश की प्रमुख सामग्रियों में आंवला (इंडियन ग्रूसबेरी) शामिल है, जिसे इसके रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के गुणों के रूप में जाना जाता है। अन्य सामग्रियों में गुडाची, पिपली, कांतकारी, ककडाशिंगी, भुम्यामलाकी, वसाका, पुष्करमूल, पृष्णीपरनी, शल्परनी इत्यादि शामिल हैं, जो सामान्य संक्रमणों से बचाव और श्वसन तंत्र की एलर्जी से रोकथाम करने में मदद करते हैं। च्वयनप्राश का निर्माण इन सभी सामग्रियों को मिलाकर किया जाता है और इसलिए यह उन हर्ब्स का परफेक्ट मिश्रण है, जो माॅनसून के मौसम में बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए इम्युनिटी उपलब्ध कराते हैं।

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