Edited By ,Updated: 13 Aug, 2016 08:18 AM
ओलिंपिक में पदार्पण के 4 साल बाद भी भारत के ओलिंपिक दल के सबसे युवा मुक्केबाज 22 बरस के शिवा थापा को रियो ...
नई दिल्ली: रियो ओलिंपिक में पदार्पण के 4 साल बाद भी भारत के ओलिंपिक दल के सबसे युवा मुक्केबाज 22 बरस के
शिवा थापा को रियो में अपने ‘बेहतर दमखम, स्टेमिना और परिपक्वता’ के आधार पर पदक जीतने की उम्मीद है ।
असम का यह मुक्केबाज अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ की रैंकिंग में फिलहाल छठे स्थान पर है और विश्व चैम्पियनशिप पदक जीतने वाला तीसरा भारतीय मुक्केबाज है। उसने दोहा में 2015 में विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य जीता था। इसके अलावा 2013
एशियाई चैम्पियनशिप में स्वर्ण और 2015 में कांस्य जीता। मार्च में उपमहाद्वीपीय क्वालीफायर में रजत जीतकर उसने रियो के लिए क्वालीफाई किया था। लंदन ओलंपिक में वह सिर्फ 18 साल का था जिसमें पहले ही दौर में हार गया। अब उसे बेंटमवेट (56 किलो) में पदक उम्मीद माना जा रहा है। उसने प्रेस ट्रस्ट से बातचीत में बताया कि
विजेंदर सिंह और अखिल कुमार को 2008 बीजिंग खेलों में देश का नाम रोशन करते देखकर वह हमेशा से ओलिंपिक में उतरना चाहता था।
उसने कहा कि समय कैसे भागता हं। मुझे लगता है कि लंदन ओलिंपिक कल ही हुए थे। मुझे याद है कि मैं बीजिंग ओलिंपिक भी जाना चाहता था। उस समय मैं सोचता था कि कैसे जाउंगा क्योंकि तक मैं सब जूनियर था। 4 साल बाद उसने लंदन के लिए क्वालीफाई करके अपना सपना पूरा किया। लंदन में 8 सदस्यीय मुक्केबाजी दल में बच्चे की तरह गए शिवा अब आत्मविश्वास से ओतप्रोत है।