Edited By ,Updated: 27 Jul, 2016 04:17 PM
वर्ष 1945-46 के रणजी सत्र के उस सेमीफाइनल मैच को याद करते हुए रामेश्वर प्रताप सिंह की आंखें आज भी खुशी से चमक उठती हैं। 91 वर्षीय पूर्व क्रिकेटर होलकर टीम के उन 6 खिलाडिय़ों में शामिल है...
इंदौर: वर्ष 1945-46 के रणजी सत्र के उस सेमीफाइनल मैच को याद करते हुए रामेश्वर प्रताप सिंह की आंखें आज भी खुशी से चमक उठती हैं। 91 वर्षीय पूर्व क्रिकेटर होलकर टीम के उन 6 खिलाडिय़ों में शामिल है जिन्होंने यहां यशवंत क्लब मैदान पर मैसूर के खिलाफ खेले गए मुकाबले में एक ही पारी के दौरान धड़ाधड़ सैकड़े जड़कर इतिहास रच दिया था।
यादों के गलियारे में कदम रखते हुए सिंह ने आज बताया, ‘जब मैंने 80 रन बना लिए, तो होलकर राजवंश के तत्कालीन महाराज और होलकर क्रिकेट एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष यशवंतराव होलकर द्वितीय ने हमारे कप्तान सीके नायडू से कहा कि अब टीम को पारी घोषित कर देनी चाहिए क्योंकि पर्याप्त स्कोर खड़ा कर लिया गया है। इस पर नायडू ने उनसे कहा कि मैं (सिंह) शतक से केवल 20 रन दूर हूं और जैसे ही 100 रन पूरे करता हूं, पारी घोषित कर दी जाएगी।’ ..और एेसा ही हुआ था। सिंह 100 रन के निजी स्कोर पर जैसे ही केपी उभयाकर की गेंद पर बोल्ड हुए, होलकर टीम ने अपनी पारी घोषित कर दी थी।
उन्होंने कहा, ‘जब मैंने आठवें क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए मैसूर के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में शतक बनाया, तब मैं स्कूल में पढ़ रहा था। वह होलकर टीम का स्वर्णिम दौर था।’