52 वर्ष बाद जन्माष्टमी पर बना त्रिगुणकारी महायोग, शुभ मुहूर्त पर मनाएं जन्मोत्सव

Edited By ,Updated: 24 Aug, 2016 01:24 PM

sri krishna janmashtami

भारतीय संस्कृती व सनातन पर्व मूलतः शास्त्र धर्मसिंधु के आधार पर मनाए जाते हैं। शास्त्र धर्मसिंधु के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र में ठीक रात 12 बजे हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व शास्त्र...

भारतीय संस्कृती व सनातन पर्व मूलतः शास्त्र धर्मसिंधु के आधार पर मनाए जाते हैं। शास्त्र धर्मसिंधु के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र में ठीक रात 12 बजे हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व शास्त्र धर्मसिन्धु तथा ज्योतिष के महूर्त खंड की पूर्णिमान्त प्रणाली अनुसार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाते हैं। इसकी पुष्टि पद्म पुराण, मत्स्य पुराण, अग्नि पुराण में कृष्ण माहात्म्य में विशिष्ट रूप से की गई है। ज्योतिष के महूर्त खंड की अमान्त प्रणाली अनुसार श्रावण भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव अर्थात जन्माष्टमी का पर्व श्रावण माह के कृष्णपक्ष को मनाया जाता है। पौराणिक मतानुसार कृष्ण जन्म हेतु भाद्रपद, अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र को मूल माना जाता है। 
 
 
शास्त्र धर्मसिंधु के अनुसार वर्ष 2016 में जन्माष्टमी पर्व गुरुवार दिनांक 25.08.16 को मनाई जाएगी। परंतु कृष्ण जन्म और जागरण बुधवार दिनांक 24.08.16 की रात महा निशाकाल में रात 11 बजकर 47 मिनट से लेकर गुरुवार दिनांक 25.08.16 रात 12 बजकर 14 मिनट तक मनाया जाएगा। पंचांग काल गणना के अनुसार अष्टमी तिथि दिनांक 24.08.16 को 10 बजकर 17 मिनट पर प्रारंभ होकर गुरुवार दिनांक 25.08.16 रात 08 बजकर 09 मिनट तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र का उदय गुरुवार दिनांक 25.08.16 दिन 12 बजकर 07 मिनट पर होकर अगले दिन तक रहेगा। अर्थात अष्टमी तिथि दिनांक 24.08.16 की मध्य रात्रि में कृष्ण जन्म विद्यमान होगा तथा कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व और व्रत गुरुवार दिनांक 25.08.16 को मनाया जाएगा। 
 
 
वर्ष 2016 में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 52 वर्षों के उपरांत त्रिगुणकारी महायोग बना रहा है। इस वर्ष माह, तिथि, वार व चंद्रमा की स्थिति ठीक वैसी ही बनी है, जैसी श्रीकृष्ण जन्म के समय बनी थी। शास्त्रानुसार कृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र व वृष राशि के चंद्र की स्थिति में हुआ था। इससे पूर्व ऐसा त्रिगुणकारी महायोग वर्ष 1958 में बना था। वर्ष 2016 में स्मार्त समुदाय जन्माष्टमी व्रत बुधवार दिनांक 24.08.16 को रखेंगे तथा वैष्णव समुदाय जन्माष्टमी व्रत गुरुवार दिनांक 25.08.16 को रखेंगे परंतु जन्माष्टमी पर अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का महायोग गुरुवार दिनांक 25.08.16 को पड़ रहा है अतः मूलतः सभी समुदाय जन्माष्टमी पर्व गुरुवार दिनांक 25.08.16 को मानेंगे।
 
 
शास्त्रनुसार जन्माष्टमी व्रत का पारण नवमी के दिन सूर्योदय उपरांत ही किया जाता है। यदि अष्टमी व रोहिणी नक्षत्र में से कोई भी सूर्यास्त तक समाप्त नहीं होता तब जन्माष्टमी व्रत दिन के समय नहीं पारण नहीं किया जाता। वर्ष 2016 में शास्त्र धर्मसिंधु के अनुसार, जो व्यक्ति दो दिनों तक व्रत करने में असमर्थ है, वो जन्माष्टमी के अगले दिन ही सूर्योदय के पश्चात व्रत का पारण कर सकते हैं। शास्त्रनुसार जन्माष्टमी पूजन निशीथ काल में किया जाता है। इस समय काल में पूरे विधान से लोग कृष्ण का षोडशोपचार पूजन में सोलह वस्तुएं सम्मिलित करते हैं। जन्माष्टमी पर निशीथ काल का समय बुधवार 24.08.16 की रात 12 बजे से प्रारंभ होकर रात 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इसी काल में जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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