प्रतिस्पर्धा में भारत का झंडा बुलंद, भारत ने लगाई 16 पायदान की छलांग

Edited By ,Updated: 28 Sep, 2016 12:36 PM

india 39th most competitive economy in the world wef

कारोबार समेत तमाम क्षेत्रों में भारत का डंका दुनिया भर में बज रहा है। विश्व अार्थिक मंच (डब्ल्यू.ई.एफ.) के वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक में एक बार फिर यह बात साबित हो गई है,

नई दिल्लीः कारोबार समेत तमाम क्षेत्रों में भारत का डंका दुनिया भर में बज रहा है। विश्व अार्थिक मंच (डब्ल्यू.ई.एफ.) के वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक में एक बार फिर यह बात साबित हो गई है, जहां भारत ने लगातार दूसरे साल 16 पायदान की ऊंची छलांग लगाई है। 2016-17 के लिए जारी सूचकांक में भारत 39वें स्थान पर पहुंच गया है। पिछले वित्त वर्ष यह 55वीं पायदान पर काबिज था। भारत के लिए तारीफ की बात यह भी है कि इस साल किसी भी अन्य देश ने इतनी ऊंची छलांग नहीं लगाई है। 

सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी देशों की सूची में स्विट्जरलैंड लगातार 8वें साल पहले पायदान पर बरकरार रहा है। सिंगापुर दूसरे तथा अमरीका तीसरे स्थान पर रहा है। नीदरलैंड चौथे और जर्मनी 5वें स्थान पर है। इस सूचकांक के लिए किसी भी देश के प्रदर्शन को 3 कसौटियों पर कसा जाता है बुनियादी जरूरतें, दक्षता बढ़ाने वाले कारक और नए प्रयोग एवं परिष्कार संबंधी कारक। 

रिपोर्ट में कहा गया है, "मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों में सुधार के साथ-साथ कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाया है और इस वक्त जी20 देशों के समूह में सबसे तेज वृद्धि यही अर्थव्यवस्था कर रही है। पिछले दिनों सुधार के जो प्रयास किए गए हैं, उनमें सार्वजनिक संस्थानों के सुधार (16 पायदान ऊपर), अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेशकों तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की आमद को सुगम बनाने (2 पायदान ऊपर) और वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने (15 पायदान ऊपर) पर अच्छा खासा जोर दिया गया है।"

बुनियादी जरूरत के पैमाने पर भारत 63वें पायदान पर बैठ गया, जबकि 2015-16 में वह 80वें स्थान पर बैठा हुआ था। संस्थानों के लिहाज से भारत 40वें स्थान पर है जबकि पिछले साल यह 60वें पायदान पर था। सार्वजनिक कोषों के दूसरे इस्तेमाल, अनियमित भुगतान तथा रिश्वतखोरी पर अंकुश, विवादों के निपटान के लिए कानूनी प्रारूप, लेखा और रिपोर्टिंग मानकों को सुदृढ़ करने तथा अल्पांश शेयरधारकों की हितरक्षा में सुधार के कारण यह हुआ है।

डब्ल्यू.ई.एफ. रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण में काफी प्रगति की है। देश में विदेशी स्वामित्व के प्रचलन और कारोबार पर एफडीआई नियमों में ढील जैसे सरकार के पहल का असर पड़ा है। 

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