‘ऐ दिल’ की मुश्किल और राज ठाकरे

Edited By ,Updated: 24 Oct, 2016 01:47 AM

aye dil hard and raj thackeray

आखिरकार महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एम.एन.एस.)के प्रमुख राज ठाकरे ने फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ को रिलीज किए जाने की ‘अनुमति’ प्रदान ...

आखिरकार महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एम.एन.एस.)के प्रमुख राज ठाकरे ने फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ को रिलीज किए जाने की ‘अनुमति’ प्रदान कर दी। हालांकि फिल्म को प्रतिबंधित करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं था परंतु 23 सितम्बर से ही उनकी पार्टी उड़ी में शहीद किए गए बिहार रैजीमैंट के सैनिकों के नाम पर सिनेमा मालिकों को धमकाती आ रही थी कि वे पाकिस्तानी कलाकारों द्वारा अभिनीत कोई भी फिल्म  अपने सिनेमा घरों में प्रदर्शित न करें। 

इसके साथ ही इन फिल्मों को प्रदर्शित करने वाले सिनेमा घरों के मालिकों और इन्हें  देखने जाने वाले दर्शकों पर एसिड अटैक करने की धमकी भी दी जा रही थी। राज ठाकरे ने इसके साथ ही पाकिस्तानी कलाकारों को भारत छोडऩे का अल्टीमेटम देकर बॉलीवुड के पैरों तले से जमीन खिसका दी। फिर ऐसा क्या हुआ कि मनसे ने ‘देशभक्ति’ की भावना को एक तरफ रखते हुए मात्र 5 करोड़ रुपए की ‘पश्चाताप’ फीस लेकर अपनी सहमति दे दी?

नि:संदेह हमारे वीर सैनिकों के बलिदान पर सभी भारतीय उदास और दुखी हैं परंतु यह बात ध्यान देने योग्य है कि अभी बहुत अधिक समय नहीं हुआ जब इसी राज ठाकरे के नेतृत्व में उन्हीं की पार्टी के गुंडों ने मुम्बई में कारों, ट्रकों, बसों को जलाया और करोड़ों रुपए की सम्पत्ति को क्षति पहुंचाई थी। बिहारियों को मारा-पीटा व अपमानित  ही नहीं किया था बल्कि उन्हें महाराष्ट्र छोडऩे पर मजबूर किया गया क्योंकि वह मानते थे कि महाराष्ट्र केवल ‘मराठी मानस’ के लिए है। यह हैरानी की बात है कि अब इन्हीं बिहारी सैनिकों के लिए मनसे ने फिल्म उद्योग पर लक्ष्य साध लिया।

देश प्रेम में विभोर राज ठाकरे एक बार भी सीमा पर क्यों नहीं गए जहां प्रतिदिन भारतीय सैनिक मारे जा रहे हैं? उन्होंने या उनकी पार्टी ने शहीद सैनिकों के परिवारों की सहायता के लिए अपनी ओर से या लोगों से एकत्रित करके एक पैसा भी क्यों नहीं दिया? दिवगंत सैनिकों के बच्चों की देखभाल के लिए मनसे की ओर से किसी प्रस्ताव या योजना के बारे में भी किसी ने कुछ नहीं सुना है। 

लोगों को तो यह उम्मीद थी कि मनसे जैसी ‘राष्ट्र भक्त’ पार्टी के सदस्य अब तक सीमांत क्षेत्रों के किसानों से मिल आए होंगे। सेनाओं द्वारा बारूदी सुरंगें बिछाई हुई अपनी भूमि से विस्थापित किए जाने के दौरान उन्हें पडऩे वाले घाटे की क्षतिपूर्ति का कोई हल निकालना होगा क्योंकि अगले 2 वर्षों तक तो किसानों को अपने खेतों में जाने की अनुमति नहीं होगी।  

सवाल पैदा होता है कि गत विधानसभा चुनाव में मात्र एक सीट हासिल करने वाली मनसे को इतना होहल्ला मचाने की जरूरत क्यों पड़ी जबकि राज ठाकरे ने पहले ही महाराष्ट्र की सुरक्षा एजैंसियों को यह बांड भर कर दिया हुआ है कि वह कानून को अपने हाथों में नहीं लेंगे। अप्रैल 2016 में वह बहुत मुश्किल से सलाखों के पीछे जाने से बच पाए थे। 

वास्तव में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने राज ठाकरे और करण जौहर के बीच सौदेबाजी करवाई है। महाराष्ट्र में भाजपा और मनसे के बीच बढ़ती नजदीकियां भी बहुत दिलचस्पी का विषय है। गौरतलब है कि कुछ ही महीने में मुम्बई नगर निगम के चुनाव होने जा रहे हैं। पिछले 20 वर्षों में मुम्बई नगर निगम पर उद्धव ठाकरे की शिव सेना का आधिपत्य रहा है। 42000 करोड़ रुपए का बजट रखने वाली मुम्बई नगर निगम ही शिव सेना की जीवन रेखा तथा प्राण वायु है। उल्लेखनीय है कि यह बजट कई प्रांतों के बजट से भी अधिक है। इसके अलावा मुम्बई अकेला महाराष्ट्र की 288 सदस्यों वाली विधानसभा में 60 विधायक तथा भारत के संसद में 11 सांसद भेजता है। भाजपा यह जानती है कि वहां अकेले यह चुनाव नहीं जीत पाएगी। 

शिव सेना बेशक सरकार में भाजपा की सहयोगी पार्टी है लेकिन विधानसभा में वहां एक विपक्षी पार्टी जैसी भूमिका अदा कर रही है और सरकार की आलोचना करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देती। ऐसे मेंं भाजपा मनसे को मुम्बई निगम के चुनावों में अपना साथी बनाना चाहती है।  

एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जो 5 करोड़ रुपए प्रति फिल्म की अदायगी निमार्ताओं से पाकिस्तानी कलाकारों को फिल्म में लेने के एवज में ली है जो वे सैनिक कल्याण कोष में जमा कराना चाहते हैं उसे लेने से भारतीय सेना ने मना कर दिया है। उनका कहना है कि वह एक सुचारू सेना है और वह extortion का पैसा नहीं लेती।

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