सात घोड़ों पर सवार होकर निकलते हैं सूर्य

Edited By ,Updated: 10 Dec, 2016 11:19 AM

surya mandir

हिन्दुस्तान के 10 प्रसिद्ध सूर्य मंदिर वैसे तो देश में कई सूर्य मंदिर हैं, पर ग्वालियर के सूर्य मंदिर की भव्यता अनूठी है। शहर के मुरार इलाके में स्थित विवस्वान सूर्य मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा 23 जनवरी, 1988 को की गई थी। मंदिर

हिन्दुस्तान के 10 प्रसिद्ध सूर्य मंदिर
वैसे तो देश में कई सूर्य मंदिर हैं, पर ग्वालियर के सूर्य मंदिर की भव्यता अनूठी है। शहर के मुरार इलाके में स्थित विवस्वान सूर्य मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा 23 जनवरी, 1988 को की गई थी। मंदिर का उद्घाटन बसंत कुमार बिड़ला ने किया था। पूर्व रुख वाले इस मंदिर में सात घोड़ों पर सवार सूर्य के दर्शन किए जा सकते हैं। मंदिर का रुख पूर्व की ओर होने के कारण सुबह के सूर्य की पहली किरणें जब मंदिर के प्रवेश द्वार को चूमती हैं तो मंदिर का सौंदर्य अनूठा दिखाई देता है। बाहर से लाल पत्थर से बने पूरे मंदिर की आकृति किसी भव्य रथ जैसी है, जिसमें दोनों तरफ 16 पहिए लगे हुए हैं। मंदिर की प्रतिकृति ओडिशा के कोणार्क स्थित विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर से काफी कुछ मिलती-जुलती है। 


मंदिर के मुख्य द्वार पर सात घोड़ों की आकृति बनी हुई है जो सूर्य के रथ को खींचते प्रतीत होते हैं। कहा जाता है कि सूर्य देवता हर सुबह सात घोड़ों पर सवार होकर जगत को दैदीप्यमान करने के लिए निकलते हैं। मंदिर की आंतरिक  सज्जा में सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। अंदर जगह-जगह दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं। सूर्य मंदिर अब ग्वालियर शहर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में शामिल हो चुका है। आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक खुला रहता है तथा दोपहर 12 से 1 बजे तक मंदिर बंद होता है। शनिवार और रविवार को सूर्य मंदिर शाम 7.30 बजे तक खुला रहता है। कई एकड़ में फैले इस मंदिर परिसर में हरियाली ऐसी है कि यहां से जल्दी बाहर निकलने का दिल ही नहीं करता। मंदिर परिसर में लोगों के लिए घनश्याम दास बिड़ला का यह संदेश लिखा गया है-मैं यही कहना चाहता हूं कि सत्कर्म कीजिए और भगवान का नाम लीजिए। ईश्वर आपका मंगल करेगा।


सूर्य मंदिर, मोढ़ेरा 
यह मंदिर अहमदाबाद से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सम्राट भीमदेवी सोलंकी प्रथम ने करवाया था। यहां इसके संबंध में एक शिलालेख भी मिलता है। सोलंकी सूर्यवंशी थे और वह सूर्य को कुलदेवता के रूप में पूजते थे। इसलिए उन्होंने अपने आराध्य देवता की आराधना के लिए एक भव्य सूर्य मंदिर बनाने का निश्चय किया। इस प्रकार मोढ़ेरा के सूर्य मंदिर ने आकार लिया। यह मंदिर उस समय की शिल्पकला का अनोखा उदाहरण है। इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पूरे मंदिर के निर्माण में जुड़ाई के लिए कहीं भी चूने का उपयोग नहीं किया गया है। ईरानी शैली में निर्मित इस मंदिर को भीमदेव ने तीन हिस्सों में बनवाया था। पहला हिस्सा गर्भगृह, दूसरा सभामंडप और तीसरा हिस्सा सूर्यकुंड है।


मार्तंड सूर्य मंदिर 
इस मंदिर का निर्माण मध्यकालीन युग में 7वीं और 8वीं शताब्दी के दौरान हुआ था। सूर्य राजवंश के राजा ललितादित्य ने इस मंदिर का निर्माण एक छोटे से शहर अनंतनाग के पास एक पठार के ऊपर किया था। इसकी गणना ललितादित्य के प्रमुख कार्यों में की जाती है। इसमें 84 स्तम्भ हैं। जो नियमित अंतराल पर रखे हुए हैं। मंदिर को बनाने के लिए चूने के पत्थर की चौकोर ईंटों का उपयोग किया गया है, जो उस समय के कलाकारों की कुशलता को दर्शाता है। मंदिर की राजसी वास्तुकला इसे अलग बनाती है। बर्फ से ढके हुए पहाड़ों की पृष्ठभूमि के साथ केंद्र में यह मंदिर करिश्मा ही कहा जाएगा। इस मंदिर में कश्मीर घाटी का मनोरम दृश्य भी देखा जा सकता है।


बेलाउर सूर्य मंदिर 
इस मंदिर का निर्माण राजा सूबा ने करवाया था। बाद में बेलाउर गांव में कुल 52 पोखरों (तालाबों) का निर्माण कराने वाले राजा सूबा को राजा बावन सूब के नाम से पुकारा जाने लगा। बिहार के भोजपुर जिले के बेलाउर गांव के पश्चिमी एवं दक्षिणी छोर पर स्थित बेलाउर सूर्य मंदिर काफी प्राचीन है। राजा द्वारा बनवाए 52 पोखरों में एक पोखर के मध्य में यह सूर्य मंदिर स्थित है। यहां छठ महापर्व के दौरान प्रति वर्ष एक लाख से अधिक श्रद्धालु आते हैं जिनमें उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के श्रद्धालु भी होते हैं।


कोणार्क सूर्य मंदिर
कोणार्क सूर्य मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है। रथ के आकार में बनाया गया यह मंदिर भारत की मध्यकालीन वास्तुकला का अनोखा उदाहरण है। इस सूर्य मंदिर का निर्माण राजा नरसिंह देव ने 13वीं शताब्दी में करवाया था। मंदिर अपने विशिष्ट आकार और शिल्पकला के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार सूर्य देवता के रथ में बारह जोड़ी पहिए हैं और रथ को खींचने के लिए उसमें 7 घोड़े जुते हुए हैं। रथ के आकार में बने कोणार्क के इस मंदिर में भी पत्थर के पहिए और घोड़े हैं। ऐसा शानदार मंदिर विश्व में शायद ही कहीं हो। इसे देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक यहां आते हैं।


सूर्य मंदिर रांची 
रांची से 39 किलोमीटर की दूरी पर रांची-टाटा रोड पर स्थित यह सूर्य मंदिर बुंडू के समीप है। संगमरमर से निर्मित इस मंदिर का निर्माण 18 पहियों और 7 घोड़ों के रथ पर विद्यमान भगवान सूर्य के रूप में किया गया है।


रणकपुर सूर्य मंदिर
राजस्थान के रणकपुर में स्थित यह सूर्य मंदिर, नागर शैली में सफेद संगमरमर से बना है। उदयपुर से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित भारतीय वास्तुकला का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता यह सूर्य मंदिर जैनियों द्वारा बनवाया गया था।


मार्तंड मंदिर प्रतिरूप 
दक्षिण कश्मीर के मार्तंड के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर के प्रतिरूप का सूर्य मंदिर जम्मू में भी बनाया गया है। मंदिर मुख्यत: तीन हिस्सों में बना है। पहले हिस्से में भगवान सूर्य रथ पर सवार हैं जिसे सात घोड़े खींच रहे हैं। दूसरे हिस्से में दुर्गा, गणेश,कार्तिकेय, पार्वती और शिव जी की प्रतिमाएं हैं और तीसरे हिस्से में यज्ञशाला हैं। हिन्दू मिथक के अनुसार यह कश्यप ऋषि के तीसरे बेटे का जन्म स्थान है।


औंगारी सूर्य मंदिर 
नालंदा का प्रसिद्ध सूर्य धाम औंगारी और बडग़ांव के सूर्य मंदिर देश भर में प्रसिद्ध हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां के सूर्य तालाब में स्नान कर मंदिर में पूजा करने से कुष्ठ रोग सहित कई असाध्य व्याधियों से मुक्ति मिलती है। प्रचलित मान्यताओं के कारण यहां छठ व्रत करने बिहार के कोने-कोने से ही नहीं बल्कि देश भर के श्रद्धालु आते हैं। लोग यहां तम्बू लगा कर सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ सम्पन्न करते हैं। कहते हैं कि भगवान श्री कृष्ण के वंशज साम्ब कुष्ठ रोग से पीड़ित थे। इसलिए उन्होंने 12 जगहों पर भव्य सूर्य मंदिर बनवाए थे और भगवान सूर्य की आराधना की थी।


झालरापाटन सूर्य मंदिर 
झालावाड़ के दूसरे जुड़वां शहर झालरापाटन के मध्य में स्थित सूर्य मंदिर झालरापाटन का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। वास्तुकला की दृष्टि से भी यह मंदिर अहम है। इसका निर्माण दसवीं शताब्दी में मालवा के परमार वंशीय राजाओं ने करवाया था। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा विराजमान है। इसे पद्मनाभ मंदिर भी कहा जाता है।


उन्नाव का सूर्य मंदिर 
उन्नाव के सूर्य मंदिर का नाम बह्मन्य देव मंदिर है। यह मध्य प्रदेश के उन्नाव में स्थित है। इस मंदिर में भगवान सूर्य की पत्थर की मूर्त है, जो एक ईंट से बने चबूतरे पर स्थित है। जिस पर काले धातु की परत चढ़ी हुई है। साथ ही साथ 21 कलाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले सूर्य के 21 त्रिभुजाकार प्रतीक मंदिर पर अवलंबित हैं।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!