बजट 2017: चुनाव वाले राज्यों के वोटरों को कैसे लुभा पाएगी सरकार?

Edited By ,Updated: 20 Jan, 2017 03:03 PM

how government will appeal to voters in budget

विपक्ष के शोरगुल के बावजूद आम बजट अपने तय समय पर यानि 1 फरवरी को ही लागू होगा।

नई दिल्लीः विपक्ष के शोरगुल के बावजूद आम बजट अपने तय समय पर यानि 1 फरवरी को ही लागू होगा। विपक्ष के विरोध के बावजूद चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुना दिया है लेकिन साथ में एक शर्त भी जोड़ दी है। शर्त यह है कि सरकार बजट भाषणों में विधानसभा चुनावों के लिए कोई घोषणा नहीं करेगी। गोवा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाला है। ऐसे में इन राज्यों को सामान्य बजट में जो फायदा होता वह भी अब नहीं होगा। ऐसे में अब यह देखना होगा कि सरकार कैसे इन राज्यों के वोटरों को लुभा पाती है।

चुनाव वाले राज्यों के लिए कोई विशेष घोषणा नहीं
चुनाव आयोग ने कहा है कि बजट के भीतर चुनाव वाले राज्यों को लेकर अलग से कोई विशेष घोषणा नहीं की जा सकती है। इससे पहले पांच राज्यों में चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद विपक्ष ने चुनाव आयोग से अपील की थी कि 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट पर रोक लगाए। विपक्ष ने यह आशंका जताई थी कि केंद्र सरकार वोटरों को आकर्षित करने के लिए बजट में लोकलुभावन घोषणाएं कर सकती है और यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन होगा।

बजट सत्र 31 जनवरी से शुरु 
1 फरवरी को पेश होने वाले बजट के 3 दिन बाद ही पंजाब और गोवा में 4 फरवरी को वोटिंग होने वाली हैं जबकि राजनीतिक दृष्टिकोण से सबसे महत्त्वपूर्ण राज्य यूपी में पहले चरण की वोटिंग 11 फरवरी को होने वाली है। विपक्ष का यह भी कहना था कि सरकार ने यह फैसला विधानसभा चुनावों को ही देखकर लिया है। जबकि सरकार का यह तर्क है कि 1 फरवरी को बजट पेश करने से वह 1 अप्रैल से ही अपनी योजनाओं को लागू कर पाएगा।

चुनावों की वजह से बजट को रोकना ठीक नहीं
सरकार ने चुनाव आयोग से यह भी कहा कि उसने बजट 2017-18 को 1 फरवरी को पेश करने की योजना सितंबर 2016 में ही बना ली थी। उसने पहले 28 फरवरी को बजट पेश होने की वजह से सरकारी योजनाओं को अगस्त-सितंबर से पहले लागू कर पाना संभव नहीं हो पाता था। इससे पहले कई पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने भी इससे पहले यह कहा था कि विधानसभा चुनावों की वजह से बजट को रोकना ठीक नहीं है क्योंकि बजट पूरे देश के लिए होता है। यह तर्क भी दिया गया कि हर साल भारत जैसे बड़े देश में कहीं-न-कहीं विधानसभा चुनाव होते रहते हैं। इस वजह से बजट जैसी महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया को रोकना ठीक नहीं है।

पहली बार पेश किया जाएगा रेल बजट 
हालांकि चुनाव आयोग की हिदायत के बाद केंद्र सरकार विधानसभा चुनावों वाले राज्यों के लिए कोई विशेष घोषणा नहीं कर पाएगी। इसका प्रभाव निश्चित तौर पर यूपी जैसे बड़े राज्य पर पड़ेगा। यूपी देश के गरीब और पिछड़े राज्यों में से एक है और सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य भी। ऐसे में यूपी के लोगों को खासतौर नोटबंदी के बाद बजट से राहत की उम्मीद जरूर होगी। लेकिन चुनाव आयोग की हिदायत के बाद सरकार शायद ही यूपी के लिए अलग से किसी पैकेज की घोषणा कर पाए। इस बार पहली दफा रेल बजट आम बजट के अंतर्गत ही पेश किया जाएगा। इसी तरह कृषि क्षेत्र में भी सरकार किसी बड़े राहत की घोषणा कर सकती है। यूपी और पंजाब में किसान वोटर की निर्णायक संख्या में है।

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