Edited By ,Updated: 18 Feb, 2017 12:06 PM
यूं तो सियासत में कोई अपना नहीं होता लेकिन देश के बाकी हिस्सों की तरह तमिलनाडु के राजनेता भी सत्ता पर पकड़ बनाए रखने के लिए रिश्तेदारों पर ही भरोसा करते हैं।
चेन्नई : यूं तो सियासत में कोई अपना नहीं होता लेकिन देश के बाकी हिस्सों की तरह तमिलनाडु के राजनेता भी सत्ता पर पकड़ बनाए रखने के लिए रिश्तेदारों पर ही भरोसा करते हैं। इसकी एक बानगी तब देखने को मिली जब जेल जाने से ठीक पहले शशिकला ने अपने भतीजों टीटीवी दिनाकरन और एस वेंकटेश को पार्टी में दोबारा शामिल करवा लिया।
ऐसे कटा दिनाकरन का पत्ता
पलानीस्वामी मंत्रियों की जो लिस्ट राज्यपाल विद्यासागर राव के पास लेकर गए थे, उसमें दिनाकरन का भी नाम था। लेकिन गवर्नर ने उनके नाम पर ऐतराज किया। राव का कहना था कि उन्हें दिनाकरन को शपथ दिलाने से पहले कानूनी सलाह लेनी होगी। ऐसा इसलिए दिनाकरन के खिलाफ भ्रष्टाचार के केस चल रहे हैं। लिहाजा पलानीस्वामी का शपथ ग्रहण टल सकता है। इस कारण पलानीस्वामी ने दिनाकरन का नाम मंत्रियों की सूची से काट दिया गया।
कौन हैं दिनाकरन
टीटीवी दिनाकरन शशिकला की दिवंगत बहन वनितामनी के बेटे हैं। वर्ष 1991 से 1995 के बीच उनके खातों में आय से ज्यादा रकम जमा की गई। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने उनके खिलाफ विदेशी मुद्रा नियमन कानून के तहत केस दर्ज किया। ईडी के प्राधिकरण ने उनपर 25 करोड़ का जुर्माना लगाया था। साल 2011 में पार्टी और सरकार के काम में दखल देने की शिकायतें मिलने के बाद जयललिता ने दिनाकरन और उनके भाईको पार्टी से निकाल दिया था। लेकिन शशिकला ना सिर्फ उन्हें पार्टी में वापस लेकर आईं बल्कि उन्हें उप-महासचिव भी बना दिया।