नियम कड़े होने से एचएसबीसी, यूबीएस ने पी-नोट जारी करना बंद किया

Edited By ,Updated: 19 Feb, 2017 07:15 PM

hsbc  ubs stop issuing p notes as india steps up clampdown

एचएसबीसी और यूबीएस समेत कई विदेशी निवेशकों ने विवादास्पद पी-नोट जारी करना बंद कर दिया है। इसका कारण नियामक और प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा इसके दुरूपयोग को रोकने के लिए उठाए गए कदम हैं।

नई दिल्लीः एचएसबीसी और यूबीएस समेत कई विदेशी निवेशकों ने विवादास्पद पी-नोट जारी करना बंद कर दिया है। इसका कारण नियामक और प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा इसके दुरूपयोग को रोकने के लिए उठाए गए कदम हैं। एक समय पी-नोट भारतीय बाजारों में निवेश के लिए विदेशी निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय माध्यम था लेकिन अब इसमें कमी आई है।  

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आगे की कार्रवाई के लिए उन विदेशी फंड हाउस की सूची सौंपी है जो विदेशों से निवेश के इस साधन, ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट (आेडीआई) भारतीय नागरिकों को जारी करते पाए गए। आेडीआई को आमतौर पर पार्टिसिपेटरी नोट (पी-नोट) के रूप में जाना जाता है। वहीं एनआरआई: भारतीय मूल के लोगों तथा कई अन्य संदिग्ध मामलों में जांच जारी है।  

पी-नोट भारतीयों, प्रवासी भारतीयों या भारतीय मूल के लोगों को जारी करने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा, एक अन्य सूची में उन निवेशकों के नाम साझा किए गए हैं जिन्होंने 10-10 करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश पी-नोट के माध्यम से किए।  सेबी ने अवैध धन की हेराफेरी में इसके दुरूपयोग को लेकर कार्रवाई में तेजी के बीच पी-नोट जारी करने वाले निवेशकों के साथ इसके जरिए भारतीय बाजारों में धन लगाने वालों की जांच तेज कर दी है।  

एक समय यह उन निवेशकों में काफी लोकप्रिय था जिन्होंने सीधे भारतीय बाजार में प्रवेश नहीं करना चाहते थे और पंजीकृत एफपीआई द्वारा उपलब्ध इस साधन के जरिए निवेश करते थे। उच्चतम न्यायालय द्वारा कालेधन पर नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) के सुझावों समेत लगातार नियमों को कड़ा किए जाने से पी-नोट के जरिए निवेश में काफी कमी आई है। 10 साल पहले कुल विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में जहां पी-नोट की हिस्सेदारी 56 प्रतिशत थी वहीं अब यह 7 प्रतिशत से कम रह गई है।

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