ब्रिटेन में गर्मागर्म चर्चा का विषय: ‘यह 20 पौंड का नोट किसका है’

Edited By ,Updated: 22 Mar, 2017 11:59 PM

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आप किसी दुकान में जाते हैं, वहां फर्श पर गिरा कोई करंसी नोट देखते हैं और....

आप किसी दुकान में जाते हैं, वहां फर्श पर गिरा कोई करंसी नोट देखते हैं और उसे उठा लेते हैं। वह नोट किसका है? आपका, क्योंकि वह आप को मिला है या उस व्यक्ति का जिसके हाथ या जेब से वह किसी वजह से नीचे गिर गया था?उस नोट का आप क्या करेंगे? अपनी जेब में डाल लेंगे, दुकानदार के हवाले करेंगे ताकि उसकी तलाश में अगर कोई आए तो उसे दे दिया जाए या फिर पुलिस स्टेशन जाकर वहां जमा करवा देंगे? 

यह प्रश्र आजकल ब्रिटेन में बड़ी सरगर्म चर्चा का विषय बना हुआ है? 6 महीने पहले एक घटना हुई जिसका संबंध 23 वर्षीय एक अंग्रेज युवती से था। कुछ दिन हुए अदालत ने उस घटना के मुकद्दमे का फैसला सुनाया जिसके बाद से देश भर के मीडिया में खूब बहस छिड़ी रही कि उस युवती के बारे में अदालत का फैसला उचित है या नहीं और दूसरे यह कि अगर कोई गुमशुदा वस्तु किसी को मिलती है तो वह किसकी मिलकीयत समझी जाएगी? बेशुमार लोगों ने इस बहस में हिस्सा लिया। रोज नई-नई और दिलचस्प दलीलें दी जाती रहीं। 

हुआ यह था कि इंगलैंड के इलाके स्टैफोर्डशायर के ब्लुर्टन नामी नगर की युवती निकोल बेली कुछ खरीदने के लिए जब एक स्टोर में दाखिल हुई तो उसने फर्श पर बीस पौंड का एक नोट गिरा पड़ा देखा जो उसने उठा कर पर्स में डाल लिया। मामला उलटा हो गया, अंग्रेजी की एक बहुत प्रचलित कहावत है: '' Finder keepers, Looser weepers''  यानी गुमशुदा वस्तु जिसको मिल जाए वह उसी की, जिससे गुम हो जाए वह बैठा रोता रहे लेकिन यहां मामला उलटा हो गया। 

जिसका नोट गुम हुआ था उसे तो नहीं बल्कि नोट पाने वाली निकोल को रोना पड़ गया। अदालत ने उसे चोर ठहराया है। साथ ही 175 पौंड जुर्माना किया है और यह सजा भी दी है कि छ: महीने के अन्दर उसने अगर कोई और जुर्म किया तो जेल जाना पड़ेगा। वह नोट व्हीलचेयर वाले एक विकलांग का था जिसने उसे स्टोर के बाहर लगी ए.टी.एम. मशीन से कुछ ही देर पहले निकलवाया था। 

नोट खो बैठने की खबर उसने स्टोर स्टाफ को दी जिन्होंने इधर-उधर तलाश करने के बाद स्टोर में लगे सी.सी.टी.वी. कैमरे की रील चला कर देखी तो उसमें निकोल को नोट उठाते पाया गया। स्टोर स्टाफ ने उसे पहचान लिया क्योंकि वह खरीदारी के लिए स्टोर में प्राय: आया-जाया करती थी। जब कैमरा रील चला कर देखी गई, वह स्टोर से जा चुकी थी। पुलिस को सूचित किया गया। 

पूछताछ के लिए निकोल को पुलिस थाने बुलाया गया। पहले तो उसने नोट बारे किसी प्रकार की जानकारी होने से इंकार किया लेकिन जब कैमरा रील दिखाई गई तो उसने स्वीकार कर लिया कि उसने नोट उठाया था। 20 पौंड उसने पुलिस को दे दिए। कोई एक्शन लिए बगैर पुलिस ने उसे घर जाने दिया। कुछ सप्ताह बाद उसे फिर पुलिस थाने बुलाया गया और कुछ पूछताछ के बाद इस बार भी उसे जाने दिया गया। निकोल का कहना है कि दोनों बार पुलिस ने कहा था कि ङ्क्षचता की कोई बात नहीं। 

लेकिन कुछ सप्ताह बाद उसे अदालत से सम्मन आ गए। निकोल दंग रह गई। उसके खिलाफ चोरी का मुकद्दमा दर्ज किया गया था। उसने अदालत को सफाई दी कि गिरा हुआ नोट किसका है इसका उसे कोई इल्म नहीं था। गिरा पड़ा था, मैंने उठा लिया।चोरी का कोई इरादा नहीं था और न ही इस बात का कुछ ज्ञान कि इस तरह से कोई चीज अगर कहीं गिरी मिले तो कानून के मुताबिक उसका क्या किया जाना चाहिए। 

सरकारी वकील ने इसे चोरी करार दिया। निकोल के वकील ने स्पष्ट किया कि इस युवती को मालूम नहीं था कि वह नोट किसका है। आम लोगों को तो इस बात का एहसास ही नहीं होता कि इस तरह से गिरी किसी चीज को उठाना चोरी है।  निकोल ने जो कुछ किया वह बिल्कुल नादानी में किया। पुलिस को चाहिए था कि वह उसे यह समझाती कि ऐसी स्थिति में साधारण नागरिक को क्या करना चाहिए। भविष्य के लिए एक चेतावनी सी देकर उसे छोड़ दिया जाना चाहिएथा।
कानून का तकाजा क्या है? 

कानून यह कहता है कि अगर किसी को कोई वस्तु कहीं पड़ी मिलती है तो उस वस्तु को उसके मालिक के हवाले करने के लिए ‘हर मुनासिब प्रयत्न’ किया जाना चाहिए, नहीं तो मुकद्दमा चलेगा। पुलिस ने खुलासा किया कि किसी को अगर कहीं से कोई नकद रकम मिलती है तो वह पुलिस थाने में जमा करवाई जानी चाहिए। अगर 28 दिन तक उसका कोई वाली-वारिस नहीं आता तो वह रकम उस व्यक्ति को दे दी जाती है जिसने उसे थाने में जमा करवाया था। 

लेकिन 2013 में एक बिल्डर जब किसी जले हुए मकान की मुरम्मत करने गया तो वहां उसे अठारह हजार पौंड नकद पड़े मिले जो उसने पुलिस के हवाले कर दिए। 28 दिन के बाद वह रकम उसे न मिली। अदालत ने रकम जब्त कर लिए जाने का हुक्म दिया कि मुमकिन है इसे आपराधिक तरीकों से जुटाया गया हो। 2013 ही में यार्कशायर के एक चर्च की चौखट पर एक थैले में 100,000 पौंड नकद पड़े पाए गए जो चर्च ही को रख लेने की इजाजत दे दी गई। 

अदालत के खर्च के तौर पर निकोल को 255 पौंड जुर्माना अदा करने और 6 महीने तक कानून उल्लंघना से सावधानी बरतने का आदेश दिया गया है वर्ना जेल भुगतने की चेतावनी के अलावा एक और पीड़ा से भी गुजरना पड़ेगा। उसके रिकार्ड में यह फैसला एक अपराधजनक हरकत (Criminal reference) के तौर पर दर्ज रहेगा जिसका मतलब यह होगा कि भविष्य में उसने अगर कोई नौकरी हासिल करनी हो, कोई जायदाद खरीदनी हो या कोई कारोबार शुरू करना हो इस रिकार्ड का असर विपरीत पड़ेगा। 

मीडिया और जनता ने निकोल के साथ सहानुभूति प्रकट की है। सजा को कठोर बताया है। फैसले के खिलाफ अपील करने इत्यादि के कई सुझाव दिए गए हैं। निकोल ने चिंता व्यक्त की है कि इस फैसले का उसके भविष्य और नौकरी पर असर पड़ सकता है। उसने कहा: ‘‘यह सारा घटनाक्रम मेरे लिए बड़ा दुखदायी है, जितनी जल्दी हो सके मैं इसे भूल जाना चाहती हूं।’’       

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