मनुस्मृति: इन चीजों को रखें काबू में, नुक्सान से होगा बचाव

Edited By ,Updated: 14 Apr, 2017 01:02 PM

manusmriti

मनुस्मृति को हिन्दू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण एवं प्राचीन धर्मशास्त्र माना गया है। स्वायंभुव मनु द्वारा लिखित शास्त्र मनुस्मृति भारतीय आचार-संहिता का विश्वकोश

मनुस्मृति को हिन्दू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण एवं प्राचीन धर्मशास्त्र माना गया है। स्वायंभुव मनु द्वारा लिखित शास्त्र मनुस्मृति भारतीय आचार-संहिता का विश्वकोश है। जिसमें 12 अध्याय और 2500 श्लोक हैं। इस ग्रंथ में ब्रह्मा जी के पुत्र मनु महाराज ने ऋषियों को उपदेश दिया है। इन नीतियों का पालन करने से व्यक्ति जीवन में कई लाभ प्राप्त कर सकता है। मनुस्मृति में इंद्रियों को वश में रखने के लिए कहा गया है। इन्हें वश में न रखने से व्यक्ति को नुक्सान का सामना करना पड़ सकता है। 

इन्द्रियाणां प्रसड्गेन दोषमृच्छत्यसंशयम्।
संनियम्य तु तान्येव ततः सिद्धिं नियच्छति।।


किसी व्यक्ति पर काम भावना हावी होने पर वह अपने वश में नहीं रहता। अपनी इसी इच्छा पूर्ति के लिए वह किसी के साथ भी बुरा व्यवहार कर सकता है। कामभावना व्यक्ति को दोषी बना सकती है। इसलिए व्यक्ति को ऐसी भावना से ग्रसित नहीं होना चाहिए। 

मुंह से निकाला शब्द कभी वापस नहीं लिया जा सकता इसलिए व्यक्ति को सोच-समझकर बोलना चाहिए। मनस्मृति के अनुसार व्यक्ति बिना सोचे-समझे बोलकर अपना नुक्सान कर बैठता है। व्यक्ति क्रोध में आकर ऐसी बातें बोल देता है जो उसे नहीं बोलने चाहिए। व्यक्ति को सदैव सोच-समझकर ही शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।

व्यक्ति को किसी के रूप में इतना नहीं खो जाना चाहिए कि रुपवती युवती या रुपवान युवक अपने वश में करके उससे कुछ भी करवा ले। जब कोई बिना विवेक से अपनी अांखों का उपयोग करता है तो ऐसी स्थिति में वह सही-गलत का अंतर नहीं कर पाता अौर दोष का भागी बन जाता है। 

व्यक्ति को अपने स्वाद पर काबू रखना चाहिए। खान-पान का लालची व्यक्ति सदैव बीमारियों से ग्रसित रहता है। जो लोग जुबान को वश करने की बजाय खुद उसके वश में हो जाते हैं वे अपनी सेहत से समझौता कर बैठते हैं। 

व्यक्ति किसी चीज के पीछे तीन कारणों से ही पड़ता है अौर वह है- रुप या आकृति, स्वाद अौर गंध। कई बार अच्छी गंध वाली वस्तुए स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। व्यक्ति को अपनी नाक पर नियंत्रण रखना चाहिए जिससे वह नुक्सान से बच सकते हैं। 


 

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