वैष्णव भक्त कहते हैं, श्री त्रिदण्डी स्वामी जी का ‘स्माइलिंग फेस’ देखने मात्र से दूर होती है थकावट

Edited By ,Updated: 24 Apr, 2017 01:34 PM

shrimad bhakti vallabh tirtha goswami ji maharaj

श्री चैतन्य गौड़ीय मठ प्रतिष्ठान के प्रतिष्ठाता नित्यलीला प्रविष्ट ओम विष्णुपाद 108 त्रिदंडी स्वामी श्रीमद भक्ति दयित माधव गोस्वामी जी महाराज के

श्री चैतन्य गौड़ीय मठ प्रतिष्ठान के प्रतिष्ठाता नित्यलीला प्रविष्ट ओम विष्णुपाद 108 त्रिदंडी स्वामी श्रीमद भक्ति दयित माधव गोस्वामी जी महाराज के प्रियतम शिष्य तथा ‘वर्ल्ड वैष्णव एसोसिएशन’ के अध्यक्ष व श्री चैतन्य गौड़ीय मठ के वर्तमान प्रधानाचार्य ओम विष्णुपाद 108 परम पूज्यपाद त्रिदण्डी स्वामी श्रीमद् भक्ति वल्लभ तीर्थ गोस्वामी जी महाराज ने वैसाख मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि यानी 20 अप्रैल को भगवान श्री कृष्ण की नित्य लीला में प्रविष्ट किया है, वह 93 वर्ष के थे। कुछ समय से वह काफी अस्वस्थ चल रहे थे। उनके गोलोकधाम जाने का समाचार सुन कर विश्व भर के समस्त वैष्णव वृंद समाज को भारी सदमा पहुंचा है तथा सभी भक्त गहरे शोक में डूब गए हैं। गुरु जी को 22 अप्रैल 2017 को श्री चैतन्य गौड़ीय मठ मायापुर जिला नदिया में वैष्णव परम्परा के अनुसार समाधि दी गई। गुरु जी मठ के हैड आफिस 35, सतीश मुखर्जी रोड कलकत्ता में वास कर रहे थे। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को इनका जन्म हुआ और वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की नवमी को ही भगवान की नित्य लीला में प्रवेश किया।


महाराज श्री का जन्म 13 अप्रैल 1924 को श्री रामनवमी वाले दिन असम के ग्वालपाड़ा गांव  में हुआ था। इनकी माता का नाम सुधांशु बाला गुहाराय था और पिता का नाम धीरेन्द्र गुहाराय था। उन्होंने माता कामाख्या देवी के आशीर्वाद से प्राप्त हुए पुत्र का नाम ‘कामाख्या चरण’ रखा।  बचपन से ही गुरु जी बड़े संस्कारी, होशियार, हंसमुख और सत्यवादी थे। स्कूल में पाठ पढ़ाने से पहले ही वह पूरा पाठ याद कर लेते थे। गणित उनका प्रिय विषय था। बचपन में बड़े शर्मीले और संकोची स्वभाव वाले गुरु जी अपनी कक्षा के  बच्चों को भी टीचर बन कर स्वयं ही पढ़ा देते थे।


ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे जंगल के एकांत में एक पुराना शिव मंदिर था जहां झाडिय़ों वाले मार्ग पर घुटनों के बल रेंगकर जाना पड़ता था और गुरु जी को वहां भगवान शिव का स्वरूप इतना अच्छा लगता था कि वह वहां जरूर जाते थे। उन्होंने अपना सारा जीवन मर्यादा में रहते हुए धर्म के अनुसार आचरण करते हुए बिताया। शान्त एवं शिष्ट व्यवहार वाले गुरु जी को मोहल्ले की रामलीला में विभीषण का अभिनय करने के लिए कहा गया जिसे सभी ने खूब सराहा और हर बार उन्हें ही विभीषण का अभिनय करने के लिए कहा जाता।


उन्होंने 1946 में कोलकाता यूनिवर्सिटी से एम.ए. फिलास्फी की पढ़ाई पूरी की और 1947 में उन्होंने त्रिदंडी स्वामी 108 श्रीमद् भक्ति दयित माधव गोस्वामी जी महाराज से दीक्षा ली और अपने गुरु महाराज की सेवा और धर्म प्रचार में बड़े उत्साह के साथ लग गए। सन 1953 में श्री चैतन्य गौड़ीय मठ की स्थापना कोलकाता में हुई। त्रिदंडी स्वामी 108 श्रीमद भक्ति दयित माधव गोस्वामी जी महाराज मठ के प्रधान बने और श्रील भक्ति वल्लभ तीर्थ गोस्वामी जी महाराज को मठ का सचिव बनाया गया। 1961 में गुरु महाराज ने संन्यास लेकर अपने घर का त्याग कर दिया और अपना सारा समय मठ की सेवा में बिताया।  1979 में इन्हें मठ का प्रैजीडैंट नियुक्त किया गया। इन्होंने 18-18 घंटे निरंतर काम किया और 1997 में श्री चैतन्य महाप्रभु जी की शिक्षाओं तथा वैष्णव धर्म का प्रचार करने के लिए इन्होंने अमेरिका, इंगलैंड, इटली, हालैंड, रूस, यूक्रेन आदि का दौरा किया और स्वदेश लौटने पर 2011 से 2014 तक ‘टाइम्स आफ इंडिया’ द्वारा शुरू किए गए कालम ‘स्पीकिंग ट्री’ के माध्यम से लोगों के  प्रश्नों के उत्तर देकर उनकी समस्याओं का समाधान किया।


गुरु महाराज ने श्री चैतन्य महाप्रभु जी की शिक्षाओं, शुद्ध भक्ति, वैष्णव धर्म व आध्यात्मिकता पर आधारित अनेकों ग्रंथ लिखे। गांवों-गांवों तथा विभिन्न राज्यों में जाकर श्री चैतन्य महाप्रभु के हरिनाम संकीर्तन की अलख जगाई और लोगों को बताया कि कलियुग में हरिनाम संकीर्तन ही मनुष्य को संसार रूपी भवसागर से पार लगा सकता है। 


सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने किसी को भी अपना शिष्य कह कर नहीं बल्कि सबको परमगुरु जी के आश्रय में ही माना। वैष्णव भक्त कहते हैं कि गुरु जी के ‘स्माइलिंग फेस’ को देखने मात्र से ही उनकी सारी थकावट दूर हो जाती है। श्रेष्ठ ब्राह्मणों की सेवा करना उन्हें बहुत अच्छा लगता था। गुरु जी शारीरिक रूप से चाहे सांसारिक लोगों के बीच नहीं हैं परंतु आज भी वह विश्व भर के वैष्णव भक्तवृंदों के मन में पूरी तरह बसे हुए हैं। अपने शुद्ध भक्ति भाव, ज्ञान, आध्यात्मिक  गुणों की खान, सहनशील, विनम्र, अहंकार रहित, दूरदर्शी अपने संकल्प के पक्के और छोटों को भी बराबर का सम्मान देने वाले गुरु जी सदा ही वैष्णव भक्तों के ह्रदय में बसकर उनका उचित मार्गदर्शन करते रहेंगे।  

वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!