Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jun, 2017 08:00 AM
स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह प्रतिदिन शिव की पूजा किया करता था।
स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह प्रतिदिन शिव की पूजा किया करता था। हेम नाम का एक माली पूजन के लिए उसके यहां फूल लाया करता था। हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन कामासक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद करने लगा।
काफी देर बाद क्रोधित राजा ने उसे अपने सेवकों से बुलाया और कहा- ‘अरे पापी! नीच! कामी! तूने शिवजी महाराज का अनादर किया है, इसलिए मैं तुझे शाप देता हूं कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा।
कुबेर के शाप से हेम माली पृथ्वी पर गिर गया और उसके शरीर में श्वेत कोढ़ हो गया। एक दिन वह मार्कंडेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया। उसे देखकर ऋषि बोले तुमने ऐसा कौन-सा पाप किया है, जिसके प्रभाव से यह हालत हो गई। हेम माली ने सारा वृत्तांत कह सुनाया। यह सुनकर ऋषि बोले- यदि तू आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेगा तो तेरे सब पाप नष्ट हो जाएंगे। हेम माली ने विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया जिससे अपने पुराने स्वरूप में आकर वह अपनी स्त्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।