Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jun, 2017 12:57 PM
एक व्यक्ति घने जंगल में भागा जा रहा था। शाम हो चुकी थी, इसलिए अंधेरे में उसे कुआं दिखाई नहीं पड़ा और
एक व्यक्ति घने जंगल में भागा जा रहा था। शाम हो चुकी थी, इसलिए अंधेरे में उसे कुआं दिखाई नहीं पड़ा और वह उसमें गिर गया। गिरते-गिरते कुएं में झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ गई। उसने नीचे झांका तो आंखें फटी की फटी रह गई। नीचे कुएं में चार अजगर मुंह खोले उसे देख रहे थे। जिस डाल को वह पकड़े हुए था उसे दो चूहे कुतर रहे थे। इतने में एक हाथी आया और पेड़ को हिलाने लगा। व्यक्ति घबरा गया और सोचने लगा कि अब क्या होगा?
पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता भी था। हाथी द्वारा पेड़ को हिलाने से मधुमक्खियां उडऩे लगीं और शहद की बूंदें टपकने लगीं। एक बूंद उसके होंठों पर आ गिरी। उसने प्यास से सूख रही जीभ को होंठों पर फेरा, शहद की उस बूंद में गजब की मिठास थी। कुछ पल बाद फिर शहद की एक बूंद उसके मुंह में टपकी। अब वह इतना मगन हो गया कि अपनी मुश्किलों को भूल गया। तभी उस जंगल से शिव और पार्वती अपने वाहन से गुजरे।
उसकी दयनीय स्थिति देखकर पार्वती जी ने शिव जी से उसे बचाने का अनुरोध किया। शिव जी ने पास जाकर कहा कि मैं तुम्हें बचाऊंगा, मेरा हाथ पकड़ लो। उस व्यक्ति ने कहा कि शहद की एक बूंद और चाट लूं फिर चलता हूं। एक बूंद, फिर एक बूंद और फिर एक बूंद के बाद अगली बूंद का इंतजार। आखिर थक-हारकर शिव जी चले गए।
आप समझ सकते हैं कि उस व्यक्ति का क्या हुआ होगा? कथा सुनाकर महात्मा ने कहा, ठीक यही हाल हमारा भी है। वह व्यक्ति जिस जंगल में जा रहा था, वह जंगल दुनिया है। अंधेरा है अज्ञान, पेड़ की डाली है आयु, जिसे दिन-रात रूपी चूहे कुतर रहे हैं। घमंड का मदमस्त हाथी पेड़ को उखाडऩे में लगा है। शहद की बूंदें सांसारिक सुख हैं, जिनके लिए मनुष्य खतरे को भी अनदेखा कर देता है।