कुछ भी करने से पहले पढ़े यह कथा वरना होगा बड़ा नुकसान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jun, 2017 11:09 AM

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किसी शहर में एक सेठ रहता था। किसी कारणवश उस बेचारे को कारोबार में घाटा पड़ गया और वह गरीब हो गया। गरीब होने का उसे बहुत दुख हुआ था। तंग आकर

किसी शहर में एक सेठ रहता था। किसी कारणवश उस बेचारे को कारोबार में घाटा पड़ गया और वह गरीब हो गया। गरीब होने का उसे बहुत दुख हुआ था। तंग आकर उसने सोचा कि इस जीवन से क्या लाभ? इससे तो मर जाना अच्छा है। यह सोचकर एक रात को वह सोया तो उसे सपने में एक संन्यासी नजर आया जो उसे कह रहा था,‘‘सुनो सेठ, तुम अपनी जान मत दो, मैं तुम्हारे सारे दुख दूर करने के लिए कल सुबह तुम्हारे घर पर आऊंगा। तुम मेरे सिर पर डंडा मारना, मैं उसी समय सोने का बन जाऊंगा।’’

संन्यासी की बात सुनकर दुखी सेठ ने सोचा कि चलो एक बार और देख लेते हैं। यह सोचकर वह सुबह से ही अपने घर पर बैठे संन्यासी की प्रतीक्षा करने लगा। उसका नौकर भी उस समय उसके पास ही बैठा था। कुछ देर पश्चात् जैसे ही यह संन्यासी सेठ को आता दिखाई दिया तो उसने झट से अपना डंडा उठाकर उसके सिर पर दे मारा। बस फिर क्या था, देखते ही देखते वह सोने का बनकर गिर पड़ा। उसे वहां से उठाकर खुशी से नाचता सेठ अंदर ले गया। उसने नौकर को इनाम में कुछ रुपए देकर कहा,‘‘तुम जाओ, लेकिन यह बात बाहर जाकर किसी से मत कहना।’’

नौकर ने घर जाकर सोचा कि जितने भी ये संन्यासी फिर रहे हैं यदि इनके सिर पर डंडा मारा जाए तो ये सोने के बन जाएंगे । सो मैं भी सुबह उठते ही इन सबके सिर पर डंडे मारूंगा और फिर मैं भी अमीर बन जाऊंगा।

बस फिर क्या था, सुबह उठते ही उसने एक बड़ा लठ लिया और चल पड़ा संन्यासियों की खोज में और एक स्थान पर जहां बहुत से भिक्षुक ठहरे हुए थे,उन्हें अपने घर पर आने का निमंत्रण दिया। जैसे ही वे खाने के लिए उसके घर पर आए तो नौकर पहले से ही द्वार पर लठ लेकर बैठा था। जैसे ही भिक्षुक अंदर आने लगे,नौकर बारी-बारी उनके सिर पर लठ मारता रहा। उनमें से कोई मर गया, कोई गहरे घाव खाए धरती पर तड़पता रहा। यह सूचना राजा की पुलिस तक पहुंच गई। पुलिस ने नौकर को बंदी बना लिया और साथ ही साधुओं की लाशें और घायल साधुओं को लेकर राजा के पास पहुंची। राजा ने नौकर से पूछा,‘‘तूने यह पाप क्यों किया?’’

उत्तर में नौकर ने सेठ वाली सारी कहानी राजा को सुना डाली। नौकर की कहानी सुन राजा ने सेठ को बुलाया और सब बात पूछी तो सेठ ने अपने सपने बारे राजा को बता दिया। सेठ की बात सुन राजा ने कहा,‘‘यह सारा दोष नौकर का है, इसे फांसी दे दी जाए।’’ इस प्रकार नौकर को फांसी दे दी गई। इसलिए कहा है- जो ठीक से देखा, जाना और सुना न हो, वह करना नहीं चाहिए, जैसा कि नौकर ने किया और मारा गया।


 

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