Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jun, 2017 02:39 PM
सनातन धर्म में नाग देवता के पूजन का विधान है। देवों के देव महादेव अभूषण रूप में अपने गले में उन्हें धारण करते हैं। रावण संहिता शास्त्र के
सनातन धर्म में नाग देवता के पूजन का विधान है। देवों के देव महादेव अभूषण रूप में अपने गले में उन्हें धारण करते हैं। रावण संहिता शास्त्र के अनुसार व्यक्ति के वो पितृ जो देव योनी में आ जाते हैं वो सर्प बनकर अपने वंशजो के धन की रक्षा करते हैं। ज्योतिष शास्त्रों में राहु व केतु को सर्प माना जाता है। राहु को सर्प का सिर तथा केतु को पूंछ माना जाता है। धर्म शास्त्रों में वर्णित है कि सांप को मारना नहीं चाहिए। इससे बड़ा पाप लगता है और बहुत से जन्मों तक इसकी सजा भुगतनी पड़ती है। ज्योतिषशास्त्र में माना जाता है कि जो व्यक्ति सांप को मारता है या उसे किसी प्रकार से कष्ट देता है अगले जन्म में उनकी कुण्डली में कालसर्प नामक योग बनता है। इस योग के कारण व्यक्ति को जीवन में बार-बार कठिनाईयों और असफलताओं का सामना करना पड़ता है।
गरुड़ पुराण में कहा गया है जिस घर में सांप निवास करते हैं उस घर को तत्काल छोड़ देना चाहिए क्योंकि वह कभी भी आपके या आपके किसी अपने के लिए मृत्यु का कारण बन सकता है। घर में दो मुंह वाला सांप आ जाए तो शुभता का संचार होता है।
यदि किसी मकान में सांप है तो सांप के रहने के बिल पर निम्र मंत्र से मिट्टी का ढेला अभिमंत्रित करके रखने से सर्प अपने आप स्थान छोड़कर चला जाता है :
ॐ नमो आदेश गुरु को जैसे के लेहु रामचंद्र।
कबूत ओसई करहु राध विनि कबूत पवनपूत हनुमंत।
धाव हन हन रावन कूट मिरावन श्रवई
अंड खेतही श्रवई अंड विहंड
खेतहि श्रवई वॉज गर्भ हो श्रवई
स्त्री चीलही श्रवई शाप
हर हर जंबीर हर जंबीर हर हर हर।