राजनीति चरम पर, 10 करोड़ बिहारियों के काम रुके

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jul, 2017 09:05 AM

at the peak of politics  the work of 10 crore biharis stopped

बिहार में पिछले एक महीने से चल रही सियासत के बीच राज्य की जनता को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है।

नेशनल डैस्कः बिहार में पिछले एक महीने से चल रही सियासत के बीच राज्य की जनता को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। नेताओं के सियासत में उलझ जाने के कारण बिहार के दस करोड़ से ज्यादा लोगों के सरकारी काम रुक गए हैं। बिहार में मुख्य मंत्री सहित 29 मंत्रियों की भरी भरकम कैबिनेट है और इनमे से जनरल प्रशासन,गृह ,विजिलेंस और तमाम वह सारे मंत्रालय जिनका कोई मंत्री नहीं है खुद मुख्य मंत्री रहते नीतीश कुमार देख रहे थे जबकि सड़क निर्माण,पिछड़ी जातियों का उत्थान और भवन निर्माण से जुड़े अहम् मंत्रालय उप मुख्य मंत्री रहते तेजस्वी यादव के पास थे लेकिन भारी भरकम प्रोफ़ाइल वाले यह दोनों नेता पिछले एक महीने से सियासत में उलझे थे लिहाजा जमीनी स्तर पर इनके मंत्रालयों का काम काज डिस्टर्ब हो रहा था।

अफसरों से नजर हटी
बिहार में चल रही सियासी उठा-पटक के बीच सरकार के मंत्रियों की नजर अफसरशाही से लगभग हट गई थी। यह अफसरशाही ही जमीनी स्तर पर काम काज करवाती है लेकिन सियासी परिस्थितियों के चलते मंत्रियों के पास इनसे अपने पंत्रालय की रिपोर्टिंग लेने का वक़्त नहीं मिल रहा था लिहाजा अफसर कई स्थानों पर अपनी मर्जी के हिसाब से काम  कर रहे हैं  जिसका सीधा नुकसान जनता को हो रहा है।

केंद्र के प्रॉजेक्टों पर भी नजर नहीं
बिहार में केंद्र सरकार के सहयोग से कई प्रॉजेक्ट चल रहे हैं लेकिन पिछले एक महीने से कई अहम् प्रॉजेक्टों पर किसी की कोई नजर नहीं है लिहाजा विकास कार्य प्रभावित हो रहा है। कई विभागों की राशि खर्च नहीं हो रही है। एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर डीएम दिवाकर का यह भी कहना है कि राजनीतिक अस्थिरता में ब्यूरोक्रेट्स फाइल की गति धीमी कर देते हैं, जिसका असर योजनाओं की प्रगति पर पड़ता है.एक आंकड़े के मुताबक पिछले 3 महीने में बिहार सरकार मात्र 6.39 प्रतिशत ही खर्च कर पायी है। अधिकांश विभाग में अभी खाता भी नहीं खुला है। शौचालय निर्माण, इंदिरा आवास निर्माण में बिहार सरकार फिसड्डी है।

यहां शून्य है खर्च
बिहार सरकार के कई विभागों कृषि, कला संस्कृति विभाग, पिछड़ा विभाग, भवन निर्माण विभाग, सहकारिता विभाग, शिक्षा विभाग, वित्त विभाग, उद्योग विभाग, लघु जलसंसाधन विभाग, पंचायती विभाग, पर्यटल विभाग, खान भूतत्व विभाग, लॉ विभाग, कैबिनेट विभाग, निर्वाचन विभाग, वाणिज्य कर विभाग जैसे प्रमुख विभागों में खर्च शून्य है.इसके अलावा गन्ना उद्योग में 0.01 प्रतिशत, सामाज्य कल्याण में 0.24 प्रतिशत, साइंस टेक्नोलॉजी में 2.02 प्रतिशत खर्च हुआ है तो नगर विकास विभाग में 0.21 प्रतिशत, एसी/एसटी में 1.03 प्रतिशत ही खर्च हो पाया है.कुछ विभाग जैसे आईटी में 45 प्रतिशत, जलसंसाधन में 29 प्रतिशत सहित चार पांच विभाग ही डबल डिजिट में तय योजना आकार की राशि का खर्च कर पाये हैं।

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