Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Aug, 2017 07:37 PM
अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़कर मुस्लिम समुदाय में नजीर पेश करने वाली...
इंदौर: अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़कर मुस्लिम समुदाय में नजीर पेश करने वाली शाह बानो की बेटी सिद्दिका खान का कहना है कि लगातार तीन बार तलाक बोलकर वैवाहिक संबंध खत्म किए जाने को उच्चतम न्यायालय के असंवैधानिक करार दिये जाने के बाद अब सरकार को ऐसा मजबूत कानून बनाना चाहिए जिससे तलाकशुदा महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा मिले।
महिलाओं को आॢथक सुरक्षा देने के लिए बने मजबूत कानून
सामाजिक मोर्चे के साथ अदालत के शीर्ष गलियारों तक अपनी मां के मुश्किल संघर्ष की गवाह रहीं सिद्दिका खान (70) ने कहा कि पति द्वारा लगातार तीन बार तलाक बोलकर पत्नी से शादी का रिश्ता खत्म करने की प्रथा को असंवैधानिक ठहराने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले से खासकर गरीब और अनपढ़ महिलाओं को फायदा होगा। लेकिन ज्यादातर तलाकशुदा महिलाओं को आज भी वे ही आॢथक दुश्वारियां झेलनी पड़ रही हैं, जो मेरी मां ने करीब 40 साल पहले झेली थीं। इस मसले का हल यह है कि सरकार तलाकशुदा महिलाओं को आॢथक सुरक्षा देने के लिए मजबूत कानून बनाए। वह स्पष्ट करती हैं कि उनकी मां ने तीन तलाक प्रथा के खिलाफ नहीं, बल्कि तलाक के बाद उनके पिता से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए संघर्ष की राह चुनी थीं।
गरीब और अनपढ़ महिलाओं का रास्ता आज भी कठिन
सिद्दिका 1980 के दशक के उस मुश्किल दौर को याद करते हुए बताती हैं कि मेरी मां को 60 साल की उम्र में मेरे पिता ने तलाक दे दिया था। इसके बाद हमें जीवन-यापन में काफी परेशानियां आईं। मेरे पिता के खिलाफ गुजारा भत्ते का मुकदमा दायर करने के बाद मेरी मां को तमाम दबावों का सामना करना पड़ा था लेकिन वह अपने हक की लड़ाई से पीछे नहीं हटीं। शाह बानो का वर्ष 1992 में इंतकाल हो गया था। उनकी बेटी ने कहा कि जस व्यक्ति ने ठान लिया है कि उसे अपनी पत्नी को तलाक देना ही है, वह तीन तलाक प्रथा के अलावा और किसी रास्ते से भी उसे छोड़ सकता है लेकिन बुनियादी सवाल अब भी बरकरार है कि गरीब और अनपढ़ वर्ग की तलाकशुदा महिलाओं के आर्थिकऔर सामाजिक हितों की हिफाजत के लिए कौन-सी कानूनी व्यवस्था होगी जिसकी मदद से वे शादी के खत्म रिश्ते को पीछे छोड़कर अपने जीवन में आगे बढ़ सकें।