Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Oct, 2017 04:38 PM
दिग्गज खनन कारोबारी और वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि वह ब्रिटेन की खनन कंपनी एंग्लो अमेरिकन पीएलसी के बोर्ड में शामिल नहीं होंगे। सबसे बड़े शेयरधारक होने के बावजूद वह बोर्ड में शामिल होने की जगह प्रबंधन में सहयोग करेंगे। कंपनी में...
नई दिल्लीः दिग्गज खनन कारोबारी और वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि वह ब्रिटेन की खनन कंपनी एंग्लो अमेरिकन पीएलसी के बोर्ड में शामिल नहीं होंगे। सबसे बड़े शेयरधारक होने के बावजूद वह बोर्ड में शामिल होने की जगह प्रबंधन में सहयोग करेंगे। कंपनी में अग्रवाल की हिस्सेदारी 21 प्रतिशत से ज्यादा है। अग्रवाल भारत में हीरा, तांबा और कोयला ढूंढने के लिए अपनी कंपनियों और एंग्लो के बीच संयुक्त उद्यम या तकनीकी सहयोग पर जोर देंगे। उन्होंने कहा कि एंग्लो शानदार कंपनी है और उससे बेहतर कोई भी कंपनी नहीं हो सकती है। यह 100 साल पुरानी कंपनी है।
हम प्रबंधन का समर्थन करेंगे, क्योंकि हम प्रबंधन को पसंद करते हैं। वेंदाता समूह ने 1.5 अरब पाउंड से कंपनी के करीब 9 प्रतिशत शेयर खरीदें। इससे पहले मार्च में 2 अरब पाउंड से 12.43 प्रतिशत की हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था। इस हिस्सेदारी ने उन्हें दुनिया की सबसे बड़े हीरा उत्पादक डी बीयर्स में अप्रत्यक्ष रूप से पैर जमाने का अधिकार दे दिया है। अग्रवाल ने कहा, यह बहुत बड़ी हिस्सेदारी है, लेकिन मैं अभी बोर्ड में कोई स्थान लेने की जगह शेयरधारक के रूप में काम करना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि मेरी कंपनी वेदांता और एंग्लो के बीच तालमेल जरुरी है। वे मिलकर संयुक्त उद्यम बना सकते हैं और एकसाथ काम कर सकते हैं।