Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Oct, 2017 07:12 AM
अमावस्या की काली रात में दीपोत्सव का पर्व हर घर में मनाया जाता है। दीपों की रोशनी में अंधेरी रात चांदनी रात की आभा देती है। कहते हैं दिवाली के दिन-रात बहुत खास होते हैं क्योंकि लक्ष्मी को घर बुलाने के लिए विशेष पूजन किए जाते हैं। कुछ मुहूर्त मां...
कार्तिक अमावस्या की काली रात में दीपोत्सव का पर्व हर घर में मनाया जाता है। दीपों की रोशनी में अंधेरी रात चांदनी रात की आभा देती है। कहते हैं दिवाली के दिन-रात बहुत खास होते हैं क्योंकि लक्ष्मी को घर बुलाने के लिए विशेष पूजन किए जाते हैं। कुछ मुहूर्त मां लक्ष्मी को घर बुलाने के लिए सबसे शुभ होते हैं। शास्त्रों में कहा गया है महालक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल में करने से वो बहुत प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बनाए रखती हैं। जब दिन और रात का मिलन होता है, उस घड़ी के संयोग को प्रदोष काल कहते हैं।
प्रदोष काल- सायं 5:43 से 8:16
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त- सायं 7:11 से 8:16
सायं 7:11 से वृषभ काल का आरंभ होगा, जो रात 9:06 बजे तक रहेगा।
इसके अतिरिक्त महानिशिता काल में भी लक्ष्मी पूजन किया जा सकता है। जिसका मुहूर्त केवल 51 मिनट तक रहेगा।
महानिशिता काल मुहूर्त- रात 11: 40 से 12:31 तक रहेगा।
इसके अतिरिक्त चार चौघड़िया पूजन मुहूर्त भी रहेंगे
प्रात: (शुभ) मुहूर्त - 6:28 से 7:52 तक
प्रात: (चर, लाभ, अमृत) मुहूर्त- 10:41 से मध्याह्न 2:54 तक
संध्या का (अमृत, चर) मुहूर्त- 4:19 से 8:54 तक
रात्रि का (लाभ) मुहूर्त- 12:06 से 12:41 तक