देखिए, आम जनता का पैसे कैसे बर्बाद कर रही है पुलिस

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Oct, 2017 04:44 PM

see how the money is being wasted by the police

3 अरब 66  करोड़ केवल किराए की गाड़ियों पर खर्च चौंक गए न आप! यह खर्च किसी और का नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस का है जो उसने सुरक्षा के नाम पर बीते 7 सालों में खर्च किया है। पुलिस का दावा है कि यह खर्च उन्होंने अपने निजी कार्यों के लिए नहीं बल्कि लोगों की...

नई दिल्ली: 3 अरब 66  करोड़ केवल किराए की गाड़ियों पर खर्च चौंक गए न आप! यह खर्च किसी और का नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस का है जो उसने सुरक्षा के नाम पर बीते 7 सालों में खर्च किया है। पुलिस का दावा है कि यह खर्च उन्होंने अपने निजी कार्यों के लिए नहीं बल्कि लोगों की सुरक्षा के नाम पर लगाई गई गाड़ियों के लिए किया है। लेकिन, दिल्ली पुलिस से सवाल यह है कि इतने खर्च में 7 सालों में 400 गाड़ियां नहीं खरीदी जा सकती थीं जो किराया दिया गया है वह किस्त के रूप में नहीं दिया जाना चाहिए था। 7 सालों में किराए की गाड़ियों को दिए जाने वाले भुगतान का खुलासा एक आर.टी.आई. से हुआ है। आपकी जानकारी के लिए यह भी बताना आवश्यक है कि यह पैसा भले ही दिल्ली पुलिस के फंड से दिया गया हो, लेकिन पैसा आम जनता का है जो टैक्स के रूप में वह देती है। इस खुलासे के बाद दिल्ली पुलिस के आलाधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है।

पब्लिक प्रोटैक्शन मूवमैंट ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष जीशान हैदर ने दिल्ली पुलिस से आर.टी.आई. के जरिए जानकारी मांगी थी कि पुलिस हर साल किराए की गाडिय़ों पर कितने रुपए खर्च कर देती है और कितने साल से वह नए वाहन न खरीद कर किराए की गाड़ियों से लोगों की सुरक्षा कर रही है। आर.टी.आई. के दिए जवाब में दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी व डी.सी.पी. अमित रॉय ने जवाब दिया है कि लगभग सालाना 50 करोड़ के करीब उनका विभाग महज 400 गाड़ियों के किराए पर खर्च कर देता है। उसने जबाव में अपने 7 साल के खर्चे का ब्यौरा भी दिया है, जिसमें बताया है कि अब तक पुलिस इन वाहनों के किराए पर 3 अरब 66  करोड़ से ज्यादा  खर्च कर चुकी है। यह किराया जे.पी. एंड कंपनी, थर्ड फ्लोर, बंसल प्लाजा कमर्शियल कॉम्पलैक्स, सैक्टर-6, द्वारका को दिया जाता है।
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कितना वाजिब है ये खर्च
आर.टी.आई. के तहत पता चला कि दिल्ली पुलिस 50 एस.यू.वी. कार और 450 जिप्सी सालाना किराए पर औसतन 24 घंटे के लिए रखती है और इसके एवज में वह 50 करोड़  रुपए से ज्यादा का भुगतान करती है। यानी कि प्रतिदिन 13 लाख रुपए से ऊपर।  जबकि अन्य ट्रैवल्स एजैंसी या फिर अन्य कोई भी एजैंसी से अगर आप कोई वाहन लेते हैं तो इसका आधा खर्च आता हैै। 

क्या इतने में नहीं आ जाते ये वाहन
सवाल यह भी है कि अगर इन गाड़ियों को 7 साल पहले या कभी भी खरीद लिया जाता तो इनकी मासिक किस्त भी इससे कम आती और ये गाडिय़ां दिल्ली पुलिस की अपनी होतीं। यही नहीं जिस गाड़ी सियाज में अधिकारी चलते हैं उनमें भी अधिकांश कारें किराए पर हैं, अगर सियाज की कॉस्ट टॉप मॉडल 13 लाख की है तो दिल्ली पुलिस प्रतिदिन किराए की एवज में एक कार भी खरीदती तो आज हर पुलिसकर्मी के पास एक नई कार होती, लेकिन ऐसा दिल्ली पुलिस ने नहीं किया।

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