Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Nov, 2017 09:05 AM
नोटबंदी को एक साल पूरा हो चुका है। इस नोटबंदी का फटका आम लोगों को ज्यादा लगा है। इन्हीं में से एक ऐसी मां है जो आज भी अपने नवजात बच्चे को खोने की बात नहीं भुला पाई है। इसी नोटबंदी के फैसले के चलते एक मां को अपने बच्चे को खोना पड़ा था। मां आज भी दर्द...
मुम्बई: नोटबंदी को एक साल पूरा हो चुका है। इस नोटबंदी का फटका आम लोगों को ज्यादा लगा है। इन्हीं में से एक ऐसी मां है जो आज भी अपने नवजात बच्चे को खोने की बात नहीं भुला पाई है। इसी नोटबंदी के फैसले के चलते एक मां को अपने बच्चे को खोना पड़ा था। मां आज भी दर्द भरे लहजे में यही कह रही है कि अगर नोटबंदी नहीं हुई होती तो मेरा बच्चा बच जाता। मुम्बई के गोवंडी इलाके में रहने वाली किरण शर्मा की गोद नोटबंदी के फैसले से सूनी हो गई।
9 नवम्बर की सुबह किरण ने एक बच्चे को घर में जन्म दिया। समय से पहले जन्मे बच्चे और मां के बेहतर स्वास्थ्य के लिए उसे शिवाजी नगर के जीवन ज्योत अस्पताल ले जाया गया। किरण के पति जगदीश ने बताया कि जब किरण गर्भवती थी तो उसकी नियमित जांच इसी अस्पताल में होती थी। नोटबंदी होने के कारण जगदीश के पास अस्पताल द्वारा मांगे गए 6 हजार रुपए में से 2500 के पुराने नोट थे। इन पुराने नोटों की वजह से उसकी पत्नी और बच्चे को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया। विनती करने के बाद भी डाक्टरों ने जगदीश की एक नहीं सुनी। घर में जन्मे बच्चे को समय पर उपचार के कारण उसका स्वास्थ्य बिगडऩे लगा और दूसरे अस्पताल में ले जाते समय सांस रुकने से बच्चे की मौत हो गई।