ICJ में दलवीर भंडारी की जीत में सुषमा का बड़ा हाथ, एेसे की थी लॉबिंग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Nov, 2017 01:47 PM

sushma made 60 calls to lobby for dalveer bhandari

भारत ने इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में ब्रिटेन को पटखनी देकर दूसरी बार सीट हासिल कर दुनिया के ताकतवर देशों को भी चौंका दिया। भारत को यह कामयाबी अचानक ही नहीं मिली है बल्कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नेतृत्व में विदेश मंत्रालय की ओर से इसके...

नई दिल्लीः भारत ने इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में ब्रिटेन को पटखनी देकर दूसरी बार सीट हासिल कर दुनिया के ताकतवर देशों को भी चौंका दिया। भारत को यह कामयाबी अचानक ही नहीं मिली है बल्कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नेतृत्व में विदेश मंत्रालय की ओर से इसके लिए आक्रामक कूटनीतिक प्रयास किए गए। भारत को बड़े पैमाने पर समर्थन मिलता देखने पर ब्रिटेन की ओर से क्रिस्टोफर ग्रीनवुड की उम्मीदवारी वापस लिए जाने के बाद सरकारी एजैंसियों को पूरा भरोसा हो गया था कि भारत पहली बार सुरक्षा परिषद के 5 ताकतवर देशों के गठजोड़ से निपट सकेगा। 

भारतीय जज दलवीर भंडारी के दोबारा ICJ में निर्वाचन के लिए सुषमा स्वराज ने खुद अपने स्तर पर लॉबिंग की थी। उन्होंने दलवीर भंडारी के लिए समर्थन जुटाने को अपने समकक्षों को 60 से ज्यादा फोन कॉल किए। विदेश सचिव एस. जयशंकर पूरी सक्रियता से दुनिया भर के नेताओं तक भारत की बात पहुंचाने के लिए जुटे थे। सोमवार को अगले दौर की वोटिंग से पहले उन्होंने तमाम देशों से संपर्क साधने का काम किया। मंगलवार को उन्होंने विदेश मंत्रालयों के विदेश सचिवों और अन्य अधिकारियों को बुलाकर समर्थन के लिए उनका धन्यवाद दिया।

यही नहीं विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर भी भारत की सीट पक्की करने के लिए जुटे हुए थे। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, 'भारत के कूटनीतिक इतिहास का यह बड़ा दिन था। इस दिन भारत को लेकर दुनिया की धारणा बदली।'  15 सदस्यों वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ब्रिटेन और 193 देशों की संयुक्त राष्ट्र की आम महासभा में भारत को समर्थन मिलता दिख रहा था। ऐसे में इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए सुरक्षा परिषद और महासभा की जॉइंट कॉन्फ्रैंस का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इसका फायदा भारत को ही मिला। 

जॉइंट कॉन्फ्रैंस के प्रस्ताव से पहले वीटो पावर वाले देश ब्रिटेन के समर्थन में दिख रहे थे, लेकिन उनका यह सपॉर्ट जॉइंट कॉन्फ्रैंस में ब्रिटेन को बढ़त नहीं दिला सकता था। इस प्रस्ताव के बाद वीटो पावर वाले कुछ देशों ने भी अपनी पोजिशन बदली। इसका संकेत मिलते ही ब्रिटेन ने अपने कैंडिडेट को वापस ले लिया। इस तरह भारत ने 70 साल बाद ब्रिटेन को आईसीजे से बाहर रहने के लिए मजबूर कर दिया। 

 

 

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