Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Dec, 2017 02:53 PM
स्वामी दयानंद सरस्वती पंजाब में धर्म प्रचार कर रहे थे। झेलम में उनका प्रवचन चल रहा था। वह गृहस्थ जनों को सात्विक जीवन बिताने तथा ईमानदारी से कमाई करने की प्रेरणा दे रहे थे। उनके प्रवचन के बाद वहस्वामी दयानंद सरस्वती के इस ज्ञान से एक शराबी बना महान...
स्वामी दयानंद सरस्वती पंजाब में धर्म प्रचार कर रहे थे। झेलम में उनका प्रवचन चल रहा था। वह गृहस्थ जनों को सात्विक जीवन बिताने तथा ईमानदारी से कमाई करने की प्रेरणा दे रहे थे। उनके प्रवचन के बाद वहस्वामी दयानंद सरस्वती के इस ज्ञान से एक शराबी बना महान गायकां का एक व्यक्ति पहुंचा और उसने भजन सुनाने की इच्छा व्यक्त की। उस व्यक्ति का नाम अमी चंद था। स्वामी जी ने उसे भजन सुनाने की इजाजत दे दी। उसके सुंदर और सुरीले भजन को सुनकर न केवल श्रोता अपितु स्वामी जी भी झूम उठे। सभा समाप्त होने के बाद जब वह व्यक्ति चला गया तो किसी ने स्वामी जी को बताया, ‘‘जिस व्यक्ति ने अभी-अभी भजन सुनाया, वह यहां तहसीलदार के पद पर है। भजन तो उसने बहुत सुंदर सुनाया परंतु वह चरित्रहीन व भ्रष्ट है। उसने अपनी पत्नी को त्याग दिया है और रखैल को रखे हुए है। वह प्रतिदिन शराब व मांस का सेवन
करता है, रिश्वत भी लेता है।’’ यह सुनकर स्वामी जी गंभीर हो गए। उन्होंने किसी को कुछ नहीं कहा।
अगले दिन प्रवचन में वह व्यक्ति पहुंचा और उसने फिर भजन सुनाने की इच्छा व्यक्त की। स्वामी जी ने उसे भजन सुनाने की स्वीकृति दे दी। सभी हैरान रह गए लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा। भजन की समाप्ति के बाद स्वामी जी ने कहा, ‘‘अमी चंद, तुम हो तो हीरे परंतु कीचड़ में धंसे हो। तुम्हारे हृदय में प्रभु के प्रति श्रद्धा है। तुम्हारे शब्दों में भी आकर्षण है परंतु जब तक तुम व्यक्तिगत जीवन को दुर्गुणों से मुक्त नहीं करोगे, तुम्हारा भजन सुनाना व्यर्थ है।’’ स्वामी जी के चंद शब्दों ने अमी चंद का जीवन बदल दिया। उसने घर पहुंचते ही शराब की बोतलें तोड़ डालीं। अगले ही दिन उसने पत्नी को प्रेमपूर्वक अपना लिया और रिश्वत न लेने का संकल्प लिया। आगे चलकर वही अमी चंद भजन गायक ‘अमी चंद मेहता’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।