Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Dec, 2017 02:38 PM
प्रकृति से सभी को अच्छी वस्तु लेने का स्वभाव है। वैसे भी अगर आप देखें तो अच्छे-अच्छे फूल चंपा, चमेली, मोगरा, चाफा कितने सुगंधित फूल व सुगंध देते हैं। इन सुगंधों से मन आनंदित व प्रसन्न होता रहता है। हमारी प्रकृति कितनी अद्भुत व रहस्यों से भरी पड़ी...
प्रकृति से सभी को अच्छी वस्तु लेने का स्वभाव है। वैसे भी अगर आप देखें तो अच्छे-अच्छे फूल चंपा, चमेली, मोगरा, चाफा कितने सुगंधित फूल व सुगंध देते हैं। इन सुगंधों से मन आनंदित व प्रसन्न होता रहता है। हमारी प्रकृति कितनी अद्भुत व रहस्यों से भरी पड़ी है, इसी को दैवीय संपदा कहा जाता है, जोकि विज्ञान से काफी परे है। किसी को भी दुर्गंध पसंद नहीं आती है। पहले लोग घर में खाना खाकर बाहर टॉयलेट जाते थे, लेकिन आज बाहर खाना खाकर आते हैं और टॉयलेट घर में करते हैं। यह परिवर्तन हुआ है।
अगर टॉयलेट की सही दिशा न हो, तो न जाने क्या-क्या बीमारी आप तक ला सकती है इसलिए इन पचास सालों में बीमारियों की संख्या में वृद्धि हुई है और दुर्गंध पूरे घर में फैलती है।
दक्षिण को यम की संज्ञा भी दी है। इस दिशा में असुरों का वास ज्यादा होता है। इस दिशा में टॉयलेट बनाकर आप बाहर की गलत ऊर्जा को वहीं समाप्त कर सकते हैं और करना भी चाहिए। इस दिशा में टॉयलेट होना शुभ होता है। मल-मूत्र को अशुभ ऊर्जा कहा जाता है। अगर इसे दक्षिण के मध्य में बनाकर घर की शुभ ऊर्जा को हानि नहीं होती है, इसलिए वास्तुशास्त्र के हिसाब से अगर आप टायलेट का चयन करना चाहते हैं, तो दक्षिण-मध्य में निश्चित होकर आपको इसका निर्माण करना चाहिए। गलत ऊर्जा को सही से स्थापित करना उसका गलत परिणाम जातक को न भोगना पड़े, यही तो इस वास्तु शास्त्र की महिमा कही जाती है। सिर्फ सही मार्गदर्शन आपका जीवन बदल सकता है।