Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Dec, 2017 02:52 PM
देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी रही यूनिटेक आज इतनी खस्ताहाल हालत में पहुंच गई है कि सरकार इसे अपने नियंत्रण में ले सकती है। एक वक्त था जब यूनिटेक ने सफलता के नए मुकाम गढ़े थे और कैसे रियल एस्टेट क्षेत्र में गिरावट, बढ़ते ऋण बोझ और 2जी घोटाले...
नई दिल्लीः देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी रही यूनिटेक आज इतनी खस्ताहाल हालत में पहुंच गई है कि सरकार इसे अपने नियंत्रण में ले सकती है। एक वक्त था जब यूनिटेक ने सफलता के नए मुकाम गढ़े थे और कैसे रियल एस्टेट क्षेत्र में गिरावट, बढ़ते ऋण बोझ और 2जी घोटाले में कंपनी की कथित संलिप्तता के कारण उसकी छवि और कारोबार को झटका लगा और वह अर्श से फर्श पर पहुंच गई।
बनी देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी
आईआईटी के पूर्व छात्र रमेश चंद्रा द्वारा 1971 में स्थापित यूनिटेक 100 से अधिक रिहायशी परियोजनाओं को डिलिवर करने का दावा करती है। 2003-08 के दौरान रियल एस्टेट सेक्टर सेक्टर में आई तेजी का कंपनी को खूब फायदा हुआ। यूनिटेक ने देशभर में अपने रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट्स शुरू किए। 2007 में यूनिटेक को देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी बन गई।
2G लाइसेंस
2008 में यूनिटेक की सब्सिडियरी टेलिकॉम कंपनी यूनिटेक वायरलेस ने देशभर में 2G लाइसेंस प्राप्त किए। 2008 में ही यूनिटेक वायरलेस ने अपनी 67 फीसदी हिस्सेदारी 6,000 करोड़ रुपए में नॉर्वे की कंपनी टेलिनॉर को बेच दिया।
2G स्कैम और मंदी ने मारी दोहरी मार
2G स्कैम में कंपनी का नाम आया और 2011 में कंपनी के मालिक संजय चंद्रा (रमेश चंद्रा के बेटे) को उनके बड़े भाई अजय चंद्रा के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। यहीं से यूनिटेक के लिए चीजें बदलनी शुरू हो गईं। 2008 में दुनिया भर में मंदी की मार पड़ी। रियल एस्टेट भी इससे अछूता नहीं रहा। यूनिटेक समेत कई कंपनियों के प्रॉजेक्ट्स मंदी के कारण फंस गए। दिल्ली इस समय यूनिटेक ग्रुप के 20,000 घर अंडर-कंस्ट्रक्शन है। इनमें से 16,300 घर लोग खरीद चुके हैं, लेकिन अबतक उन्हें घर नहीं मिला है। इस वक्त कंपनी को अपने प्रॉजक्ट्स को पूरा करने के लिए काफी बड़े फंड की जरूरत है।