Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Feb, 2018 06:47 AM
सूर्य ग्रहण उस समय लगता है जब चांद, पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। इस स्थिती को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। विज्ञान के अनुसार जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चांद आ जाता है
सूर्य ग्रहण उस समय लगता है जब चांद पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। विज्ञान के अनुसार जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चांद आ जाता है जिसके कारण चांद सूर्य के प्रकाश को रोक देता है। इस स्थिति में पृथ्वी पर काला साया छा जाता है, जिसे सूर्य ग्रहण के नाम से जाना जाता है। सूर्य ग्रहण अक्सर अमावस्या के दिन होता है।
15 फरवरी को साल 2018 का पहला सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। ये आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। अतः इसका सूतक भी मान्य नहीं है परंतु यह अमावस्य पितृ मोक्ष हेतु श्रेष्ठ है। ग्रहण काल में पितृ हेतु तर्पण, दान व मोक्ष पर तीर्थ में स्नान का बड़ा महत्व है।
पंजाब केसरी के लेखक पंडित आचार्य कमल नंदलाल जी के अनुसार सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पूर्व सूतक का प्रभाव आरंभ हो जाता है। खंडग्रास सूर्य ग्रहण मध्यरात्रि 00.25 से शुरू होकर 28.17 तक रहेगा अर्थात अंग्रेजी समयानुसार दिनांक 16.2.2018 को रात 12.25 से प्रारंभ होकर प्रात: 4.17 पर खत्म होगा। भारतीय समयानुसार सूतक दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर आरंभ होगा। यह खंडग्रास सूर्य ग्रहण दक्षिण अमरीका, प्रशांत महासागर, चिली, पैसिफिक महासागर, ब्राजील, दक्षिण जार्जिया, ध्रुवप्रदेश अंटार्कटिका आदि देशों में दिखाई देगा। शास्त्रों के अनुसार जहां ग्रहण दिखाई नहीं देता वहां इसका महात्म्य नहीं होता और न ही सूतक लगता है।