Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Feb, 2018 01:14 AM
ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने शुक्रवार को हैदराबाद में कहा कि अमेरिका की हिम्मत नहीं है कि वह येरुशलम को इजराइल की राजधानी घोषित कर दे। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी 3 दिन की यात्रा पर भारत आए....
नेशनल डेस्क: ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने शुक्रवार को हैदराबाद में कहा कि अमेरिका की हिम्मत नहीं है कि वह येरुशलम को इजराइल की राजधानी घोषित कर दे। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी 3 दिन की यात्रा पर भारत आए हैं। 2013 में पदभार संभालने के बाद उनकी यह पहली भारत यात्रा है। इस दौरान भारत और ईरान 'आपसी हित' के क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री आरके सिंह और तेलंगाना व आंध्र प्रदेश के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन ने हैदराबाद के बेगमपेट एयरपोर्ट पर रूहानी का स्वागत किया।
रुहानी ने कहा कि ईरान और भारत उद्योग, कृषि और उन्नत प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में एक दूसरे को सहयोग कर सकते हैं। साथ ही दोनों देश एक दूसरे के हित में योगदान के लिए कदम उठा सकते हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि दोनों देशों को परस्पर हित में शांति व्यवस्था मजबूत करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। रुहानी ने यह भी कहा कि आज मुसलमानों के बीच एकता की आवश्यकता है साथ ही दुश्मनों पर आरोप लगाया कि वे इस्लाम में मतभेद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ईरान, इराक और सीरिया में संघर्ष समाप्त करने की दिशा में लगातार काम कर रहा है।
ईरान भारत के साथ चाहता है अच्छे संबंध
हैदराबाद की ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करने के बाद रूहानी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों, विद्वानों और धर्मगुरूओं से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने मुस्लिमों को सांप्रदायिक मतभेदों से ऊपर उठकर "इस्लाम के शत्रुओं" के खिलाफ एकजुट रहने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भारत धर्म और विचार और अवसरों के विविध स्कूलों का जीता-जागता म्यूजियम है। हम यहां मंदिरों के साथ पूजा और शांति के दूसरे स्थानों को एक साथ देखते हैंं। रूहानी ने कहा कि ईरान मुसलमान देश के साथ अच्छे संबंध चाहता है और भारत के साथ भी उसे अपने रिश्ते मजबूत करने हैं।
भारत को दे सकते हैं चाबहार बदरगाह की चाबी
रूहानी आज शाम दिल्ली के लिए रवाना होंगे जहां वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे। सूत्रों के अनुसार इस दौरान रूहानी चाबहार बदरगाह की चाबी भारत को सौंप सकते हैं। बता दें कि भारत और ईरान के बीच मजबूत आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध है। अब भारत अपनी वेस्ट एशिया पॉलिसी के तहत ईरान को अहम साथी बनाना चाहता है। 2016 में पीएम मोदी द्विपक्षीय यात्रा पर ईरान गए थे जहां दोनों देशों के बीच तब एक दर्जन समझौते हुए थे। त्रिपक्षीय पारगमन समझौते (चाबहार समझौते) पर भारत, ईरान व अफगानिस्तान ने दस्तखत किए थे। यह बंदरगाह सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पाकिस्तान को बायपास कर तीनों देश जुड़ जाएंगे।