Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Feb, 2018 05:21 PM
भारतीय प्रबंधन संस्थान (आई.आई.एम.) बेंगलूर के अध्ययन में पता चला है कि देश के सरकारी बैंकों को पिछले 7 वर्षों के बीच फर्जीवाड़े से कुल 227.43 अरब रुपए का चूना लग चुका है। उधर सूचना-तकनीकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आर.बी.आई.) के
नई दिल्ली : भारतीय प्रबंधन संस्थान (आई.आई.एम.) बेंगलूर के अध्ययन में पता चला है कि देश के सरकारी बैंकों को पिछले 7 वर्षों के बीच फर्जीवाड़े से कुल 227.43 अरब रुपए का चूना लग चुका है। उधर सूचना-तकनीकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आर.बी.आई.) के आंकड़ों का हवाला देते हुए संसद को बताया था कि 1 जनवरी से 21 दिसम्बर, 2017 तक 179 करोड़ रुपए के बैंक फर्जीवाड़े के 25,800 से ज्यादा मामले सामने आए। इन फर्जीवाड़ों को क्रैडिट/डैबिट कार्ड्स और इंटरनेट बैंकिंग के जरिए अंजाम दिया गया था।
मार्च, 2017 में आर.बी.आई. ने जो आंकड़े जारी किए उनके मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 के पहले 9 महीनों में आई.सी.आई.सी.आई. बैंक से 1 लाख रुपए और ज्यादा की रकम के 455 फर्जी ट्रांजैक्शन पकड़े गए जबकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एस.बी.आई.) के 429, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के 244 और एच.डी.एफ.सी. बैंक के 237 फर्जी ट्रांजैक्शन सामने आए।
आंकड़े बताते हैं कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के 64 कर्मचारियों, एच.डी.एफ.सी. बैंक के 49 कर्मचारियों जबकि एक्सिस बैंक के 35 कर्मचारियों की भूमिका इन फर्जी ट्रांजैक्शंस में पाई गई। अप्रैल से दिसम्बर, 2016 के बीच 177.50 अरब रुपए के फर्जीवाड़े के 3870 मामले दर्ज करवाए गए। इन फर्जीवाड़ों में निजी और सरकारी बैंकों के 450 कर्मचारी लिप्त थे।