Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Feb, 2018 09:58 PM
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने शनिवार को दोहराया कि उनका देश ‘आखिरी सांस’ तक उस परमाणु समझौते की शर्तों का पालन करेगा जो कि उसने दुनिया के प्रमुख ताकतवर देशों के साथ किया था। रूहानी ने इसके साथ ही आगाह भी किया कि अगर यह समझौता टूटा तो अमरीका को...
नई दिल्ली: ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने शनिवार को दोहराया कि उनका देश ‘आखिरी सांस’ तक उस परमाणु समझौते की शर्तों का पालन करेगा जो कि उसने दुनिया के प्रमुख ताकतवर देशों के साथ किया था। रूहानी ने इसके साथ ही आगाह भी किया कि अगर यह समझौता टूटा तो अमरीका को ‘‘पछताना पड़ेगा’।
रूहानी की यह टिप्पणी अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के बाद आई है जिसमें ट्रंप ने समझौते से हटने की धमकी दी। उन्होंने परमाणु समझौते की समीक्षा की मांग की थी।
रूहानी ने कहा, ‘देश के रूप में हम (अपनी प्रतिबद्धताओं का) हमेशा पालन करते हैं। हम (इस समझौते का) उल्लंघन नहीं करेंगे और इसमें बने रहेंगे। यह तो अल्लाह का आदेश है। अगर हम कोई समझौता करते हैं तो हम अपनी आखिरी सांस तक उसका पालन करेंगे।’
भारत यात्रा पर आए रूहानी ईरान की विदेश नीति की प्राथमिकताओं पर संबोधन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा ‘मोलभाव’ का समय अब नहीं रहा और समझौते पर हस्ताक्षर कि बाद इस पर विचार करना ‘हास्यास्पद’ है।
आब्सर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में रूहानी ने कहा कि परमाणु समझौते के मुद्दे पर अमरीका केवल ईरान से ही व्यवहार नहीं कर रहा बल्कि इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी शामिल है जिसने इस समझौते को मंजूरी दी थी।
उन्होंने कहा कि अगर समझौता टूटता तो है तो अमरीका ‘पछताएगा’ और उस देश के लोग ही इसको लेकर चिंता जताएंगे। ईरान तथा छह देशों (अमरीका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, चीन व जर्मनी) के बीच यह समझौता 2015 में हुआ था।
अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते को लेकर कुछ आपत्तियां जताई। इस समझौते ‘जेसीपीओए’ के तहत पिछले महीने उन्होंने ईरान के खिलाफ प्रतिबंध उठा लिए लेकिन इसके साथ ही चेतावनी भी दे डाली कि यदि समझौते में मौलिक बदलाव नहीं किए गए तो यह इस तरह का आखिरी कदम होगा।
इस बीच भारत और ईरान के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत इस समझौते के पूर्ण एवं प्रभावी क्रियान्वयन को समर्थन की प्रतिबद्धता दोहराता है।