भक्त की एक अभिलाषा पूर्ण करने के लिए शिव जी ने धरा यह रूप

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Feb, 2018 03:53 PM

to fulfill the desire of the devotee shivji change his identity

शिव शकंर को संसार का पालन हार कहा जाता है क्योंकि संसार में जन्म लेने वाले हर प्राणी के जीवन के रक्षक शिव जी ही हैं। वैसे तो हम सबको पता है कि शिव जी के अनेकों रूप हैं, जिनकी पूजा देश के कोने-कोने में होती है।

शिव शकंर को संसार का पालन हार कहा जाता है क्योंकि संसार में जन्म लेने वाले हर प्राणी के जीवन के रक्षक शिव जी ही हैं। वैसे तो हम सबको पता है कि शिव जी के अनेकों रूप हैं, जिनकी पूजा देश के कोने-कोने में होती है। लेकिन आज भी भोलेनाथ के कुछ अवतारों के बारे में बहुत से लोग नहीं जानते। तो आईए हम आपको शिव शंकर के एेसे रूपों के बार में बताएं जिनसे बहुत से लोग आज भी अनजान है। 

 

भगवान शंकर का भिक्षुवर्य अवतार
धर्म ग्रंथों के अनुसार विदर्भ नरेश सत्यरथ को शत्रुओं ने मार डाला। उसकी गर्भवती पत्नी ने शत्रुओं से छिपकर अपने प्राण बचाए। समय आने पर उसने एक पुत्र को जन्म दिया। रानी जब जल पीने के लिए सरोवर गई तो उसे घडिय़ाल ने अपना आहार बना लिया। तब वह बालक भूख-प्यास से तड़पने लगा। इतने में ही शिवजी की प्रेरणा से एक भिखारिन वहां पहुंची। तब शिवजी ने भिक्षुक का रूप धर उस भिखारिन को बालक का परिचय दिया और उसके पालन-पोषण का निर्देश दिया तथा यह भी कहा कि यह बालक विदर्भ नरेश सत्यरथ का पुत्र है। यह सब कह कर भिक्षुक रूपधारी शिव ने उस भिखारिन को अपना वास्तविक रूप दिखाया। शिव के आदेश अनुसार भिखारिन ने उस बालक का पालन-पोषण किया। बड़ा होकर उस बालक ने शिवजी की कृपा से अपने दुश्मनों को हराकर पुन: अपना राज्य प्राप्त किया। भोलेनाथ का यह अवतार संदेश देता है कि संसार में जन्म लेने वाले हर प्राणी के जीवन के रक्षक भी मौजूद होते हैं। 


भगवान शंकर का सुरेश्वर अवतार
भगवान शंकर का सुरेश्वर (इंद्र) अवतार भक्त के प्रति उनकी प्रेमभावना को प्रदर्शित करता है। इस अवतार में भगवान शंकर ने एक छोटे से बालक उपमन्यु की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अपनी परम भक्ति और अमर पद का वरदान दिया। धर्म ग्रंथों के अनुसार व्याघ्रपाद का पुत्र उपमन्यु अपने मामा के घर पलता था। वह सदा दूध की इच्छा से व्याकुल रहता था। उसकी मां ने उसे अपनी अभिलाषा पूर्ण करने के लिए शिवजी की शरण में जाने को कहा। इस पर उपमन्यु वन में जाकर ॐ नम: शिवाय का जप करने लगा। शिवजी ने सुरेश्वर (इंद्र) का रूप धारण कर उसे दर्शन दिया और अपनी(शिवजी) की अनेक प्रकार से निंदा करने लगे। इस पर उपमन्यु क्रोधित होकर इंद्र को मारने के लिए खड़ा हुआ। उपमन्यु को अपने में दृढ़ शक्ति और अटल विश्वास देखकर शिवजी ने उसे अपने वास्तविक रूप के दर्शन कराए तथा क्षीरसागर के समान एक अनश्वर सागर उसे प्रदान किया। उसकी प्रार्थना पर कृपालु शिवजी ने उसे परम भक्ति का पद भी दिया।

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!